________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 2 ] विजया वेजयंता जयंता अपराजिता सव्वट्टसिद्धा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं अणुत्तरोववाइया, सेत्तं कप्पाईया, सेत्तं वेमाणिया 1 / सेत्तं देवा, सेत्तं पंचिंदिया, सेत्तं संसारसमावन्न. जोवपन्नवणा, सेत्तं जीवपन्नवणा, सेत्तं पन्नवणा 10 // सू० 38 // पनवणाए भगवईए पढमं पनवणापयं समत्तं // ___ // इति प्रथमं पदम् // 1 // // अथ स्थानाख्यं द्वितीयं पदम् // कहि णं भंते ! बादर-पुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं गणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तंजहा-रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूपप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए ईसीप्पन्भाराए, ग्रहोलोए पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु, उड्डलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु, तिरियलोए टंकसु कूडेसु सेलेसु सिहरीसु पभारेसु विजएसु वक्खारेसु वासेसु वासहरपव्वएसु वेलासु वेड्यासु दारेसु तोरणेसु दीवेसु समुद्देसु, एत्थ णं बायरपुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजभागे समुग्घायेणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्टाणेणं लोगस्स असंखेजइभागे 1 / कहि णं भंते ! बादर-पुढवीकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जत्थेव बादरपुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता तत्थेव बादरपुढवीकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, तंजहाउववाएणं सब्बलोए समुग्घाएणं सवलोए सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 2 / कहि णं भंते ! सुहुम पुटवीकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा! सुहुमपुढवीकाइया जे पज्जत्तगा जे अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा प्रणाणत्ता सव्वलोय-परियावनगा पन्नता, समणाउसो !