________________ भणिय समुरसासनिस्सा। सलेसा में भागईणं गोयमा श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-1 / [ 251 उववन्नगा य अमाइ-सम्मदिट्ठी-उववन्नगा य 2 / तत्थ णं जे ते माईमिच्छदिट्ठीउववन्नगा ते णं अप्पवेदणतरागा तत्थ णं जे ते अमाईसम्मदिट्ठीउववनगा ते णं महावेदणतरागा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ, सेसं तहेव 3 // सूत्रं 212 // सलेसा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारा समसरीरा समुस्सासनिस्सासा 1 / सव्वेवि पुच्छा, एवं जहा श्रोहियो गमयो भणियो तहा सलेसागमयोवि निरवसेसो भाणियव्वो जाव वेमाणिया 1 / कराहलेसा णं भंते ! नेरझ्या सव्वे समाहारा पुच्छा, गोयमा ! जहा श्रोहिया, नवरं नेरइया वेयणाए माइमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य अमाइसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा, सेसं तहेव जहा भोहियाणं 2 / असुरकुमारा जाव वाणमंतरा, एते जहा ग्रोहिया, नवरं मणुस्साणं किरियाहिं विसेसो जाव तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजया अस्संजया संजयासंजया य, जहा श्रोहियाणं, जोइसियवेमाणिया श्राइल्लियासु तिसु लेसासु ण पुच्छिज्जंति, एवं जहा किराहलेसा विचारिया तहा नीललेस्सा विचारेयव्वा, काउलेसा नेरइएहिंतो श्रारब्भ जाव वाणमंतरा, नवरं काउलेस्सा नेरझ्या वेदणाए जहा श्रोहिया 3 / तेउलेसा णं भंते ! असुरकुमाराणं तायो चेव पुच्छायो, गोयमा ! जहेव श्रोहिया तहेव नवरं वेयणाए जहा जोइसिया, पुढविश्राउ-वणस्सइ-पंचेंदिय तिरिक्ख-मगुस्सा जहा श्रोहिया तहेव भाणियव्वा, नवरं मणूसा किरियाहिं जे संजता ते पमत्ता य अपमत्ता य भाणियव्वा सरागवीयरागा नत्थि, वाणमंतरा तेउलेसाए जहा असुरकुमारा एवं जोइसियवेमाणियावि, सेसं तं चेव, एवं पम्हलेसावि भाणियव्वा, नवरं जेसि अस्थि, सुक्कलेस्सावि तहेव जेसिं अस्थि, सव्वं तहेव जहा श्रोहियाणं गमश्रो, नवरं पम्हलेस्ससुक्कलेस्सायो पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-मणूस-वेमाणियाणं चेव, न सेसाणंति 4 // सूत्रं 213 // पनवणाए भगवईए लेस्सापए पढमा उद्देसयो समत्तो॥ _ // इति सप्तदशमपदे प्रथमोद्देशकः // 17-1 //