________________ 136 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः अन्नाणीवि, अजहन्नमणुकोसमइन्नाणीवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं सुयअन्नाणीवि अचक्खुदंसणीवि एवं चेव जाव वणप्फइकाइया 12 // सूत्रं 113 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणगाणं बेइंदियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नोगाहणए बेइंदिए जहन्नोगाहमस्स बेइंदियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, णवरं णाणा पत्थि, अजहन्नमणुकोसोगाहणए जहा जहन्नोगाहणए, णवरं सट्ठाणे श्रोगाहणाए चउट्ठाणवडिए 3 / जहन्नठिड्याणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठियाणं बेइंदिइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नटिइए बेइंदिए जहन्नाठिझ्यस्स बेइंदियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठितीए तुल्ले वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणबडिए, से एएणद्वेणं जाव पन्नत्ता 5 / एवं उक्कोसटिइएवि, नवरं दो णाणा अब्भहिया, अजहन्नमणुकोसटिइए जहा उक्कोसटिइए णवरं ठिईए तिट्ठाणवडिए 6 / जहन्नगुणकालगाणं बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ-जहन्नगुणकालगाणं बेइंदियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए वेइंदिए जहन्नगुणकालगस्स बेइंदियस्स दव्वळुयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहगट्टयाए चउ(छ)हाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वनगंधरसफासपजवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि छट्ठाणवडिए, से एएणतुणं जाव पन्नत्ता 8 / एवं