________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 5 ] [ 135 णएवि, अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे चउट्ठाणवडिए, 3 / जहन्नठिझ्याणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठियाणं पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नठिइए पुढविकाइए जहन्नठिझ्यस्स पुटविकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपज्जवेहि मतिअन्नाणपजवेहिं सुयशन्नाणपजवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 5 / एवं उक्कोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे तिट्ठाणवडिए 6 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोंयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं दुच्चइ जहन्नगुणकालयाणं पुढविकाइयाणं अणंता पन्जवा पन्नत्ता, गोयमा ! जहन्नगुणकालए पुढविकाइए जहन्नगुणकालगस्स पुढधिकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियव्वा 6 / जहन्नमतियन्नाणीणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नमतिअन्नाणीणं पुढविकाइयाणं अणंता पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नमतिअन्नाणी पुढविकाइए जहन्नमतियन्नाणिस्स पुढविकाइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणबडिए ठिईए तिढाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं छट्टाणवडिए मइयन्नाणपजवेहि तुल्ले सुययन्नाणपजवेहि अचक्खुदंसणपज्जवेहि य कट्टाणवडिए, से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसमइ