________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 16 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नचक्खुदंसणीणं नेरझ्याणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नचक्खुदंसणीणं नेरइए जहन्नचक्खुदंसणिस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं छट्ठाणवडिए चक्खु. दंसणपजवेहिं तुल्ले अचक्खुदंसणपजवेहिं श्रोहिदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 17 / एवं उक्कोसचक्खुदंसणीवि, अजहन्न-मणुकोस-चक्खुदंसणीवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं अचक्खुदंसणीवि योहिदंसणीवि 18 // सूत्रं 111 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! असुरकुमाराणं केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणगाणं असुरकुमाराणं अणंता पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए असुरकुमारे जहन्नोगाहणस्स असुरकुमारस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वनाईहिं छट्ठाणवडिए ग्राभिणिबोहियनाण-पज्जवेहि सुयनाण-पजवेहिं योहिनाणपजवेहिं तिहिं अन्नाणेहि तिहिं दसणेहि य छट्ठाणवडिए, से एएगटेणं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, एवं अजहन्नमणुक्कोसोगाहणएवि, नवरं उकोसोगाहणएवि असुरकुमारे ठिईए चउट्ठाणवडिए, एवं जाव थणियकुमारा 3 ॥सूत्रं 112 // जहन्नोगाहणाणं भंते ! पुढविकाइयाणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणाणं पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नोगाहणए पुढविकाइए जहन्नोगाहणस्स पुढविकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएणद्वेणं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाह