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________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः गुणमभहिए वा, ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिजइभागमभहिए वा संखिजइभागमभहिए वा संखिजगुणमभहिए वा असंखिजगुणमब्भहिए वा, कालवराणपजवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे अणंतभागहीणे वा असंखेजइभागहीणे संखेजइभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेजगुणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा, अह अभहिए अणंतभागमभहिए वा असंखेजइभागमभहिए वा संखेजइभागमभहिए वा संखेन्जगुणमब्भहिए वा असंखेजगुणमभहिए वा अणंतगुणमब्भहिए वा, नीलवन्नपजवेहिं लोहियवन्नपजवेहिं पीयवन्नपजवेहि हालिवन्नपजवेहिं सुकिल्लवन्नपजवेहि य छट्ठाणवडिए, सुब्भिगंधपजवेहिं दुब्भिगंधपजवेहि य छट्ठाणवडिए, तित्तरसपजवेहिं कडयरसपज्जवेहिं कसायरसपजवेहिं अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, कक्खडफासपज्जवेहिं मउयफासपजवेहिं गरुयफासपजवेहिं लहुयफासपजवेहिं सीयफासपज्जवेहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपनवेहि लुक्खफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए, अाभिणिबोहियनाणपजवेहिं सुयनाणपजवेहिं श्रोहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपजवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं योहिदंसणपज्जवेहिं छट्टाणवडिए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं नो संखेजा नो असंखेजा अणंता पजवा पन्नत्ता 2 // सूत्रं 104 // असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्टाणवडिए कालवन्नपजवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं नीलवन्नपजवेहिं लोहियवन्नपजवेहिं हालिवन्नपजवेहिं सुक्कि
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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