________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् " पदं 5 ] [ 127 ठिई पन्नत्ता?, गोयमा ! अजहन्न-मणुकोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ठिई पराणत्ता 13 ॥सू० 102 // पन्नवणाए भगवईए चउत्थं ठिइपदं समत्तं // // इति चतुर्थं पदम् // 4 // // अथ श्री पर्याय(विशेष)नामकं पञ्चमं पदम् // कइविहा णं भंते ! पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पजवा पनत्ता, तंजहा-जीवपजवा य अजीवपजवा य 1 / जीवपजवा णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 2 / से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवपजवा नो संखेजा नो असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! असंखिजा नेरइया असंखिजा असुरकुमारा असंखिज्जा नागकुमारा असंखिजा सुवरणकुमारा असंखिजा विज्जुकुमारा असंखिजा अगणिकुमारा असंखिजा दीवकुमारा असंखिजा उदहिकुमारा असंखिजा दिसीकुमारा असंखिजा वाउकुमारा असंखिजा थणियकुमारा असंखिजा पुढविकाइया असंखिजा अाउकाइया असंखिजा तेउकाइया असंखिजा वाउकाइया अणंता वणप्फइकाइया असंखेजा बेइंदिया असंखेजा तेइंदिया असंखेजा चरिंदिया असंखेजा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया असंखेजा मणुस्सा असंखेजा वाणमंतरा असंखेजा जोइसिया असंखेजा वेमाणिया अणंता सिद्धा, से एएणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते णं नो संखिज्जा नो असंखिजा अणंता 3 // सू० 103 // नेरझ्याणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! श्रणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-नेरझ्याणं गणंता पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिज्जइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिजइभागममहिए वा संखिजइभागमभहिए वा संखिजगुणमब्भहिए वा असंखिज