________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 21 ] [ 266 गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउयाई 13 / अपजत्ताणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 14 / संमुच्छिमाणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 15 / गम्भवक्कंतियाणं पजत्ताण य जहराणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउयाई 16 // सूत्र 261 // वेउब्वियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियवेउब्वियसरीरे य पंचिंदियवेउब्वियसरीरे य 1 / जति एगिदियवेउब्वियसरीरे किं वाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे अवाउकाइय-एगिदियवेउव्वियसरीरे ?, (ग्रन्थाग्रं 6000) गोयमा ! वाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे नो अवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 2 / जइ वाउकाइय-एगिदिय-वेउब्वियसरीरे किं सुहुम-वाउक्काइयएगिदिय-वेउव्वियसरीरे बायरवाउकाइय-एगिदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! नो सुहुमवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 3 / जइ बादरवाउकाइय-एगिदियवेउव्वियसरीरे किं पजत्त-बादरबाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे अपजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्बियसरीरे ?, गोयमा ! पजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे नो अपजत्त. बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 4 / जति पंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे जाव किं देवपंचिदियवेउब्वियसरीरे ?, गोयमा! नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरेवि जाव देवपंचिंदियवेउब्वियसरीरेवि 5 / जइ नेरइय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे जाव किं अधेसत्तमापुढवि-नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि जाव अधेसत्तमापुढवि नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेऽवि 6 / जइ रयणप्पभापुढवि-नेरइय-वेउब्वियसरीरे किं पजतग-रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरे अपजत्तग-रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-रयणप्पभा