________________ 162 ] ! श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः भंते ! भाववरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 15 / नेरइए णं भंते ! वराणचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 16 / नेरझ्या गां भंते ! वगणचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरिमावि अचरिमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 17 / नेरइए णं भंते ! गंधचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 18 / नेरइया णं भंते ! गंधचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 11 / नेरइए णं भंते ! रसचरमेणं. किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 20 / नेरइया णं भंते ! रसचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 21 / नेरइए णं भंते ! फासचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अवरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाहिए 22 / नेरझ्या णं भंते.! फासचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि एवं जाव वेमाणिया 23 / संगहणिगाहा–“गतिठिइभवे य भासा प्राणापाणुचरमे य बोद्धव्वा / थाहारभावचरमे वरणरसे गंधफासे य // 1 // // सूत्रम् 160 // दसमं चरमपदं समत्तं // // इति दशमं पदम् // 10 // // अथ भाषाख्यमेकादशमं पदम् // से गुणं भंते ! मगणामीति श्रोहारिणी भासा ? बितेमीति श्रोहारिणी भासा ? ग्रह मराणामीती अोधारिणी भासा ? ग्रह चिंतेमीति श्रोधारिणी भासा ? तह मराणामीति ग्रोधारिणी भासा ? तह चिंतेमीति