________________ 224 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः देसेणं फुडे, आगासत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे, नो पुढविकाइएणं फुडे जाव नो श्रद्धासमएणं फुडे, एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुलहुए अणंतेहिं अगुरुलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागास-श्रणंतभागणे // सूत्रं 118 // इंदियपयस्स पढमो उद्देसो समत्तो॥ // इति पञ्चदशमपदे प्रथमोद्देशकः // 15-1 // // अथ श्री इन्द्रियाख्य-पञ्चदशमपदे द्वितीयोद्देशकः // इंदियउवचय 1 णिवत्तणा य 2 समया भवे असंखेजा 3 / लद्धी 4 उवयोगद्धं 5 अप्पाबहुए विसेसाहिया // 1 // ओगाहणा 6 अवाए 7 ईहा 8 तह वंजणोग्गहे 1-10 चेव / दबिंदिय 11 भाविदिय 12 तीया बद्धा पुरक्खडिया // 2 // कतिविहे णं भंते ! इंदियउवचए पन्नत्ते, गोयमा ! पंचविहे इंदियउवचए पन्नते, तंजहा-सोतिदिए उबचते चक्खिदिए उवचते घाणिदिए उवचते जिभिदिए उवचते फासिदिए उवचते 3 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहे इंदिग्रोवचए पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदिनोवचए पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदिनोवचए जाव फासिदिनोवचए, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ इंदिया तस्स ततिविहो चेव इंदिनोवचयो भाणियब्वो 1, 2 / कतिविहा णं भंते ! इंदियनिव्वत्तणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पवविहा इंदियनिव्वत्तणा. पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियनिव्वत्तणा जाव फासिंदियनिव्वतणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अत्थि 2, 3 / सोतिदियणिवत्तणा णं भंते ! कइसमइया पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखिजइसमया अंतोमुहुत्तिया पन्नत्ता 4 / एवं जाव फासिंदियनिव्वत्तणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 3, 5 / कइविहा णं भंते ! इंदियलद्धी पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा इंदियलद्धी पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि