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________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः 'अजए य भूयणए / वा(चा)रग दमणग माख रुयग सतपुष्फींदीवरे य तहा // 41 // जे यावन्ना तहप्पगारा हरिया मुणेयव्वा, सेत्तं हरिया 16 / से कि तं श्रोसहियो ?, श्रोसहियो अणेगविहायो पन्नत्तायो, तंजहा-साली वीही गोहुम जव जवजवा कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-णिप्फाव-कुलत्थथालिसंदसतीण-पलिमंथा // 42 // अयसी-कुसुभ-कोदव कंगू-रालग-मास “(वरमास)कोसा। सण-सरिसव-मूल(गा)गवीया, जे यावन्ना तहप्पगारा // 43 // सेत्तं पोसहीयो 17 / से किं तं जलरहा ?, जलरुहा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-उदए अवए पणए सेवाले कलंबुया हढे कसेरुया कच्छा भाणी उप्पले पउमे कुमुदे णलिणे सुभए सुगंधिए पोराडरीयए महापुंडरीयए सयपत्ते सहस्सपत्ते कल्हारे कोकणदे अरविदे तामरसे भिसे भिसमुणाले पोक्खले पोक्खलत्थिभुए, जे यावना तहप्पगारा जलरुहा मुणेयव्वा, से तं जलरुहा 18 / से कि तं कुहणा ?, कुहणा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-याए काए कुहणे कुणक्के दवहलिया सफाए सज्झाए छत्तोए (सित्ताए) वंसी णहिता कुरए, जे यावन्ना तहप्पगारा कुहणा मुणेयव्वा, सेत्तं कुहणा 11 / णाणाविह संठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता / खंधावि एगजीवा ताल-सरल-णालिएरीणं // 44 // जह सगल-सरिसवाणं सिलेसमिस्साण वट्टिया वट्टी / पत्तेयसरीराणं तह होंति सरीरसंघाया // 45 // जह वा तिलपप्पडिया बहुएहिं तिलेहि संहिता संती / पत्तेयसरीराणं तह होति सरीरसंघाया // 46 // सेत्तं पत्तेयसरीर-बादर-वणप्फइकाइया 20 ॥सू० 23 // से किं तं साहारणसरीर-बादर-वणस्सइकाइया ?, साहारणसरीर-बादरवणस्सइकाइया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-अवए पणए सेवाले लोहिणी मिहुत्थु हु(मिहूत्थिइ)स्थिभागा य / अस्सकन्नि सीहकन्नी सिउंढि तत्तो मुसुदी य // 47 // रुरु कुण्डरिया जीर छीर विराली तहेव किट्टीया। हालिदा सिंगबेरे य थालुगा भूलए इ य // 48 // कंबू य कन्नुक्कड सुमत्तयो
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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