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________________ [ 26 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 1 ] तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा 6 / एएसि णं एकमाइयाणं खहयर पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापजत्ताणं बारस जाइकुलकोडिजोणिपमुह-सयसहस्सा भवंतोतिमक्खायं 7 / सत्तट्ठ जाइकुलकोडिलवख नव अद्धतेरसाइं च / दस दस य होंति नवगा तह बारस चेव बोद्धव्वा // 112 // सेत्तं खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, सेत्तं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, सेत्तं तिरिक्खजोणिया 8 // सू० 36 // से किं तं मणुस्सा ?, मणुस्सा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिममणुस्सा य गम्भवक्कंतियमणुस्सा य 1 / से किं तं समुच्छिममणुस्सा ?, कहि णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति ?, गोयमा ! अंतो मणुस्सखित्ते पणयालीसाए जोयणसयसहस्सेसु अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्दे सु पन्नरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छपन्नाए अंतरदीवएसु गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं चेव उच्चारेसु वा पासवणेसु वा खेलेसु वा सिंघाणएसु वा वंतेसु वा पित्तेसु वा पूएसु वा सोणिएसु वा सुक्केसु वा सुकपुग्गल-परिसाडेसु वा विगयजीव-कलेवरेसु वा थीपुरिससंजोएसु वा गामनिद्धमणेसु वाणगरनिद्धमणेसु वा सव्वेसु चेव असुइट्ठाणेसु, पत्थ णं संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति, अंगुलस्स असंखेजइभागमेत्ताए योगाहणाए असन्नी मिच्छदिट्ठी अन्नाणी सव्वाहिं पजत्तीहिं अपजत्तगा अंतोमुहुत्ताउया चेव कालं करेंति, सेत्तं समुच्छिममणुस्सा 2 / से किं तं गम्भवक्कंतियमणुस्सा ?, गम्भवक्कंतियमणुस्सा तिविहा पन्नत्ता, तंजहाकम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा 3 / से किं तं अंतरदीवगा ?, अंतरदीवगा श्रट्ठावीसविहा पन्नत्ता, तंजहा-एगोरुया 1 श्राहासिया 2 वेसाणिया 3 णंगोली 4 हयकन्ना 5 गयकन्ना 6 गोकना 7 सक्कुलिकन्ना 8 श्रायंसमुहा 1 मेंढमुहा 10 अयोमुहा 11 गोमुहा 12 श्रासमुहा 13 हत्थिमुहा 14 सीहमुहा 15 वग्घमुहा 16 श्रासकन्ना 17 हरिकन्ना 18 अकन्ना 11 करणपाउरणा 20 उकामुहा 21 मेहमुहा 22 विज्जुमुहा
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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