________________ श्रीमत्प्रज्ञापनीपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 ] [ 176 योसन्नं कारणं पडुच्च मेहुणसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च अाहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 5 / एएसि णं भंते ! मणुस्साणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणूसा भयसनोवउत्ता थाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा 6 / देवा णं भंते ! किं याहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! श्रोसन्नं कारणं पडुच्च परिग्गहसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च याहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 7 / एएसि णं भंते ! देवाणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा श्राहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखेजगुणा 8 // सूत्रं 148 / / इति पन्नवणाए भगवईए अट्टमं सन्नापदं समत्तं // ___ // इति अष्टमं पदम् // 8 // // अथ श्री योनिनामकं नवमं पदम् // कतिविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पन्नत्ता, तंजहा-सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी // सूत्रं 141 // नेरइयाणं भंते ! किं सिता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सीतावि जोणी उसिणावि जोणी णो सीतोसिणा जोणी 1 / असुरकुमाराणं भंते ! किं सिता जोणी उसिणा जोणी सोतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! नो सीता जोणी नो उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं भंते ! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सितावि