________________ 178 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः // अथ श्री सज्ञाख्यं अष्टमं पदम् // कइ णं भंते ! सन्नायो पनत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पन्नत्तायो, तंजहा-थाहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना कोहसन्ना माणसन्ना मायासन्ना लोहसन्ना लोयसन्ना श्रोघसन्ना 1 / नेरइयाणं भंते ! कति सन्नाश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नाथो पन्नत्तायो, तंजहाथाहारसन्ना जाव अोघसन्ना 2 / असुरकुमाराणं भंते ! कइ सन्नायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पन्नत्तायो, तंजहा-याहरसन्ना जाव थोघसन्ना 3 / एवं जाव थणियकुमाराणं, एवं पुढविकाइयाणं जाव वेमा. णियावसाणाणां नेतव्वं 4 // सूत्रं 147 // नेरइयागां भंते ! कि श्राहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! श्रोसन्नं कारणं पडुच्च भयसन्नोवउत्ता, संतइभावं पडुच्च अाहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 1 / एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं अाहारसन्नोवउत्ताणं भयसन्नोवउत्ताणं मेहुणसन्नोवउत्ताणं परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया मेहुणसन्नोवउत्ता अाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा 2 / तिरिक्खजोणियाणं भंते ! किं याहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! योसन्नं कारणं पडुच याहारसन्नोवउत्ता संतइभावं पडुच्च याहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोंवउत्तावि 3 / एएसि णं भंते ! तिरिवखजोणियाणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया परिग्गहसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा अाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा- 4 / मणुस्सा णं भंते ! किं थाहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा !