________________ // अहम् // सूरिपुरंदर-श्रीमदार्य-श्यामाचार्य-संकलितं // श्रीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् // // अथ प्रज्ञापनाख्यं प्रथमं पदम् // ववगय-जरमरणभये सिद्धे अभिवंदिऊण तिविहेणं / वंदामि जिणवरिंदं तेलोकगुरुं महावीरं // 1 // सुयरयणनिहाणं जिणवरेणं भवियजण-णिव्वुइकरेण / उवदंसिया भगवया पनवणा सव्वभावाणं // 2 // (वायगवर-वंसायो तेवीसइमेण धीरपुरिसेण / दुद्धरधरेण मुणिणा पुवसुय-समिद्धबुद्धीणा // 1 // सुयसागरा विणेऊण जेण सुयरयण-मुत्तमं दिन्नं। सीसगणस्स भगवो तस्स नमो अजसामस्स // 2 // प्र०) अज्झयणमिणं चित्तं सुयरयणं दिट्ठिवाय-णीसन्दं / जह वन्नियं भगवया अहमवि तह वनइस्सामि // 3 // पन्नवणा 1 ठाणाइं 2 बहुवत्तव्वं 3 ठिई 4 विसेसा 5 य / वक्वन्ती 6 ऊसासो 7 सन्ना 8 जोणी य 1 चरिमाई 10 // 4 // भासा 11 सरीर 12 परिणाम 13 कसाए 14 इन्दिए 15 पयोगे 16 य / लेसा 17 कायठिई या 18 सम्मत्ते 11 अन्तकिरिया 20 य // 5 // योगाहणसगठाणे 21 किरिया 22 कम्मे 23 इयावरे / कम्मस्स बन्धए 24 कम्मवेदए 25 वेदस्स बन्धए 26 वेयवेयए 27 // 6 // श्राहारे 28 उपयोगे 21 पासणया 30 सन्नि 31 सञ्जमे 32 चेव / श्रोही 33 पवियारण 34 वेदणा 35 य तत्तो समुग्घाए 36 // 7 // से कि तं पनवणा ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा