________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 5 [ 131 संखिजइभागअब्भहिए वा संखिजगुणमभहिए वा असंखिजइगुणमभहिए वा, ठिईए तिट्ठाणवडिए, बन्न-गंध-रस-फास-याभिणिवोहियनाण-सुयनाणमझ्यन्नाण-सुयअन्नाण-अचक्खुदंसणपनवेहि य छट्टाणवडिए, से एएण? णं जाव पन्नत्ता 2 / एवं तेइंदियावि, एवं चउरिदियावि, नवरं दो दंसणा चक्खुदंसणं अचखुदसणं च 3 ॥सू. 107 // पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पजवा जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा // सू० 108 // मणुस्साणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्साणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! मणूसे मणूसस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्न-गंध-रस-फास-श्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण-श्रोहिनाण-मणपजवनाणपजवेहि य छट्ठाणवडिए केवलनाणपजवेहिं तुल्ले तिहिं यन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए केवलदसणपजवेहिं तुल्ले, से एएगाटेणं जाव पन्नत्ता २॥सू० 101 // वाणमंतरा योगाहणट्टयाए ठिईए चउट्ठा. णवडिया, वरणाईहिं छट्टाणवडिया, जोइसिया वेमाणियावि एवं चेव, नवरं ठिईए तिट्ठाणवडिया // सू० 110 // - जहन्नोगाहणगाणं भंते ! नेरझ्याणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए नेरइए जहन्नोगाहणस्स नेरझ्यस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएमट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठणावडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 2 / उकोसोगाहणगाणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्च उक्कोसोगाहणयाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उक्कोसोगाहणए नेरइए उक्कोसोगाहणस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए