________________ 372 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः य जहा नेरइया, वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 4 / // सूत्रं 320 // नेरइया णं भंते ! थाहारे किं श्राभोगनिबत्तिए अणाभोगनिव्वत्तिए ?, गोयमा ! श्राभोगनिव्वत्तिएवि अणाभोगनिव्वत्तिएवि, एवं असुरकुमाराणं जाव वेमाणियाणं, णवरं एगिदियाणं नो श्राभोगनिव्वत्तिए श्रणाभोगनिव्वत्तिए 1 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले थाहारत्ताए गिरहंति ते किं जाणंति पासंति अाहारेंति उदाहु न याणंति न पासंति आहारेंति ?, गोयमा ! न याणंति न पासंति थाहारेंति, एवं जाव तेइंदिया 2 / चउरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिया न याणंति पासंति श्राहारेंति अत्थे. गइया न याणंति न पासंति श्राहारेंति 3 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति 1 अत्थेगइया जाणंति न पासंति थाहारेंति 2 अत्गइया न जाणंति पासंति आहारेंति 3 श्रत्येगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति 4, एवं मणुस्साणवि, वाणमंतर. जोइसिया जहा नेरइया 4 / वेमाणियाणं पुच्छा, गोयमा ! प्रत्येगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति थाहारेंति 5 / से केणटेणं भंते ! एवं बुचति वेमाणिया प्रत्येगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति पासंति. पाहारेंति ?, गोयमा ! वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-माईमिच्छद्दिट्ठिउववन्नगा य अमायिसम्मदिविउववन्नगा य, एवं जहा इंदियउद्दसए पढमे भणितं तहा माणितवं जाव से एएण?णं गोयमा ! एवं बुञ्चति 6 / नेरझ्या णं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पनत्ता 7 / ते णं भंते ! किं पसत्था अपसत्था ?, गोयमा ! पसत्थावि अपसत्थावि एवं जाव वेमाणियाणं 8 / नेरइया णं भंते ! कि सम्मत्ताभिगमी मिच्छत्ताभिगमी सम्मामिच्छत्ताभिगमी ?, गोयमा ! सम्मत्ताभिगमीवि मिच्छत्ताभिगमीवि सम्मामिच्छत्ताभिगमीवि 1 / एवं जाव वेमा