________________ 154 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः गुणकालयस्स पोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वनगंधरसफासपनवेहि य छट्टाणवडिए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जहन्नगुणकालयाणं पोग्गलाणं श्रणंता पजवा पन्नत्ता 14 / एवं उकोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, 15 / एवं जहा कालवन्नपज्जवाणं वत्तव्वया भणिया तहा सेसाणवि वनगंधरसफासाणं वत्तव्यया भाणियव्वा जाव अजहन्नमणुकोसलुक्खे सट्ठाणे छटाणवडिए 16 / सेत्तं रूविग्रजीवपजवा, सेत्तं अजीवपन्जवा 17 // सूत्रं 121 // इति पन्नवणाए भगवईए पंचमं विसेसपयं समत्तं // // इति पञ्चमं पदम् // 5 // // अथ श्री उपपात(व्युत्क्रान्ति)नामकं षष्ठं पदम् // बारस 1 चवीसाई 2 सयंतरं 3 एगसमय 4 कत्तो 5 य / उबट्टण 6 परभवियाउयं च 7 अट्ठव अागरिसा 8 // 1 // निरयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्को सेणं वारस मुहुत्ता 1 / तिरियगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं बारस मुहुत्ता 2 / मणुयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 3 / देवगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 4 / सिद्धिगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया सिझणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं छम्मासा 5 / निरयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया