________________ गोयमा ! दुविः / पादोसिया जेणं अप्पणी श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 22 // अथ क्रियाख्यं द्वाविंशतितमं पदम् // ____ कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियात्रो पराणत्तायो, तंजहा-काइया 1 अहिगरणिया 2 पादोसिया 3 पारियावणिया 4 पाणाइवायकिरिया 1 / काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-अणुवरयकाइया य दुप्पउत्तकाइया य 2 / अहिगरणिया णं भंते ! किरिया कइविहा पनत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजोयणाहिकरणिया य निव्वत्तणाधिगरणिया य 3 / पादोसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जेणं अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा असुभ मणं संपधारेति, सेत्तं पादोसिया किरिया 4 / पारियावणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहाजेणं अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा अस्सायं वेदणं उदीरेति, सेत्तं पारियावणिया किरिया 5 / पाणातिवायकिरिया णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जेणं अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा जीवियायो ववरोवेइ, से तं पाणाइवायकिरिया 6 ॥सूत्रं 27 // जीवा णं भंते ! किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! जीवा सकिरियावि अकिरियावि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा सकिरियावि अकिरियावि ?, गोयमा ! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावराणगा य असंसारसमावराणगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावराणगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावराणगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सेलेसिपडिवण्णगा य असेलेसिपडिवराणगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवराणगा ते णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवरणगा ते णं सकिरिया, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चतिजीवा सकिरियावि अकिरियावि 2 / अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं