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यही है जिंदगी
सात अन्ध पुरुष और हाथी का उदाहरण देकर भगवान महावीर ने वस्तु समझने की दिव्य दृष्टि दी है। सात अन्धों के सामने प्रश्न था : 'हाथी कैसा है?' सबने हाथी को स्पर्श कर अपनी-अपनी धारणा के अनुसार उत्तर दिया । एक दूसरे की... सबकी धारणाएँ भिन्न-भिन्न थीं । परन्तु विषमता वहाँ पैदा हुई कि ‘मेरी ही धारणा सही, दूसरों की गलत!' बस झगड़ने लगे सब आपस में ।
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को
वैचारिक संघर्ष इस प्रकार पैदा होते हैं। दूसरों के विचारों की अपेक्षाओं का चिंतन कर सत्यासत्य का निर्णय करना चाहिए | जिनवचन यह बताता है कि किस अपेक्षा से कौन-सी बात सत्य हो सकती है!
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निष्कर्ष यह है कि जीवन - व्यवहार में अपेक्षारहित बने रहने का प्रयत्न करें । विचारों में सापेक्ष-अपेक्षा सहित बने रहने का अभ्यास करें। विचार और व्यवहार में इस प्रकार संवादिता स्थापित हो जाय तो मानवजीवन सफल हो जाय !