________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यही है जिंदगी
१२८
व ६४. रूप-अनुरूप की धूप
3
एक भव्य चित्र-प्रदर्शनी थी।
प्रदर्शनी देखने हजारों लोग आए थे। प्रदर्शनी में लगे हुए चित्र बिकते थे। एक ग्राम्य प्रदेश का चित्र था, उसमें एक ग्राम्य गरीब महिला का आकर्षक चित्र था | बहुत ही सुन्दर चित्र था। एक श्रीमन्त ने ५० हजार रुपये में वह चित्र खरीदा और प्रदर्शनी के बाहर निकला।
प्रदर्शनी के द्वार पर एक स्त्री खड़ी-खड़ी भिक्षा माँग रही थी। उसने उस श्रीमन्त से पाँच पैसे माँगे... श्रीमन्त गुस्सा हो गया और उसका तिरस्कार करता हुआ निकल गया। उसके हाथ में चित्र था... उस स्त्री ने उस चित्र को देखा, वह उसी का चित्र था! बिम्ब की उपेक्षा हुई थी, प्रतिबिंब का मूल्य हुआ था!
संसार में ऐसा ही हो रहा है न? आत्मा की ही उपेक्षा हो रही है, चेतना की ही उपेक्षा हो रही है और उसके प्रतिबिंबों का मूल्यांकन हो रहा है! प्रतिबिंबों के मूल्यांकनों में झगड़े हो रहे हैं, प्रतिबिंबों से राग-द्वेष हो रहे हैं...।
आत्मद्रव्य की सिद्धि के लिये हजारों ग्रन्थ लिखे गये, लाखों तर्क किये गये, परंतु आत्मद्रव्य की सरासर उपेक्षा की गई। तर्कों से आत्मद्रव्य की सिद्धि करके, नास्तिक पर विजय प्राप्त करके, विजयोन्मत्त विद्वान् आत्मा की ही उपेक्षा कर रहा है!
आत्मद्रव्य के अस्तित्व की सिद्धि किसलिये? दूसरों पर विजय पाने के लिये या अपने पर विजय पाने के लिये? आत्मस्वरूप का निर्णय किसलिये? वह स्वरूप प्राप्त करने के लिये या अपनी तर्कशक्ति का अभिमान पुष्ट करने के लिये? तर्कसिद्ध आत्मस्वरूप का ज्ञान क्या केवल बुद्धि की संतुष्टि के लिये है?
कुछ ऐसा ही हो रहा है जीवनयात्रा में | जीवनयात्रा हो रही है, अंतर्यात्रा का प्रारम्भ ही नहीं हुआ है। अनेक शास्त्र पढ़े, अनेक तर्क किये... और आत्मा का अस्तित्व सिद्ध किया । आत्मस्वरूप का निर्णय भी किया... परन्तु दूसरों को समझाने के लिये! आत्मा के विशुद्ध स्वरूप से प्यार नहीं किया । आत्मा के प्रतिबिंबों से ही प्यार और नफरत करता रहा । आत्मविषयक शास्त्रज्ञान प्राप्त किया, परन्तु आत्मानुभूति का आनंद प्राप्त नहीं किया। ___आत्मानुभूति होती है ध्यान में! विषय-कषाय जब उपशान्त हों तभी ध्यान में स्थैर्य प्राप्त होता है। प्रतिबिंबों के खेल में विषय-कषाय उपशान्त नहीं होते, प्रदीप्त होते हैं। कब यह खेल समाप्त होगा? कब आत्मानुभूति की अंतर्यात्रा प्रारम्भ होगी?
For Private And Personal Use Only