Book Title: Yahi Hai Jindgi
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 293
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यही है जिंदगी २७५ व १२४. 'यह भी चला जायेगा' इ अब्राहम लिंकन के टेबल पर यह सूत्र रहता थाThis day also will pass.' 'यह दिन भी चला जायेगा! - जब मनुष्य शान्त और प्रसन्न होता है तब वह यह नहीं सोचता है कि 'कब यह दिन पूरा होगा?' परंतु जब वह अशान्त होता है, दुःखी होता है तब यह सोचता है कि 'कब यह दिन पूरा होगा?' वह ऐसा महसूस करता है कि जैसे समय स्थगित हो गया है... सूर्य स्थिर हो गया है...! __- ऐसे अशान्त, उद्विग्न और संतप्त मनुष्य को अपने समक्ष यह सूत्र रखना चाहिए - This day also will pass! - समय कभी स्थगित नहीं होता है। काल का प्रवाह अविरत गति से बह रहा है। अनंत काल से बहता रहा है, अनंत काल तक बहता रहेगा। अनादिअनंत है कालप्रवाह! ___ - मन को यह सत्य अँचना चाहिए | जब नरक और निगोद का भयानक दुःखमय काल व्यतीत हो गया है तो फिर इस मनुष्य-जीवन का ५०-१०० साल का काल व्यतीत होने में क्या देर लगेगी? एक दिन व्यतीत होने में क्या देर लगेगी? - धैर्य धारण करना होगा। - हाँ, कुछ दुःख तो समय के साथ बह जाते हैं। - दुःख के विचारों से, अशाति के निमित्तों से मन को मुक्त करने की कला प्राप्त करनी होगी और वह कला है, अपने प्रिय.. मनपसंद कार्यों में ओतप्रोत रहना। - इसलिए, अपने प्रिय कार्य एक-दो नहीं परंतु पाँच-दस होने चाहिए। क्योंकि प्रिय कार्य भी दीर्घकाल तक करते रहने से मन थक जाता है। यदि हमें दूसरे भी कार्य प्रिय हैं तो एक कार्य के बाद दूसरा कार्य कर के मन को आनंद से भरा हुआ रख सकते हैं। दिन, महीना, वर्ष... कब पूरा हो जायेगा, मालूम ही नहीं पड़ेगा। For Private And Personal Use Only

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