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यही है जिंदगी
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७३. दंभ एक ग्रंथि है
चीन के तत्त्वज्ञानी कन्फ्यूशियस 'यु' राज्य के 'शी' प्रान्त में परिभ्रमण कर रहे थे। एक जगह, एक कब्र के पास एक महिला करुण विलाप कर रही थी। कन्फ्यूशियस ने उस महिला को रुदन का कारण पूछा । महिला ने कहा : 'इस जगह एक बाघ ने मेरे ससुर को मार डाला था, उसके बाद मेरे पति को भी बाघ ने इसी जगह मार डाला और अभी-अभी मेरे पुत्र को भी...' वह स्त्री करुण रुदन करने लगी। __'तो तुम इस जगह को छोड़कर दूसरी जगह क्यों नहीं चली जाती?' कन्फ्यूशियस ने उस स्त्री से कहा। ___ 'क्योंकि यहाँ का राजा जुल्म नहीं करता है... इस राज्य में प्रजा निर्भय और निश्चित है।'
कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यवृन्द की ओर देखा और बोले : 'यह बात तुम सबको याद रखने योग्य है : सुराज्य हो तो बाघ का त्रास भी सहन किया जा सकता है।'
राज्य में जुल्म नहीं हो, गाँव-नगर में जुल्म नहीं हो,
परिवार में जुल्म नहीं हो... वैसे स्थान में रहना चाहिए | स्थान निराकुल व निरापद होना चाहिए। यदि वैसा स्थान प्राप्त हो और दूसरी अनेक तकलीफें भी हो, तो भी वह स्थान नहीं छोड़ना चाहिए। यदि सुराज्य में ज्यादा धनदौलत नहीं मिलती हो तो भी सुराज्य का त्याग नहीं करना चाहिए।
जो लोग इस बात को नहीं जानते हैं, वे लोग धनलालसा से आकर्षित होकर जुल्मी देशों में जाते हैं (इस्लामी देशों में) और दुःख पाते हैं। जहाँ पर फौजी शासन होता है अथवा तानाशाही होती है वहाँ जुल्म का शासन होगा ही। वैसे देशों में धर्मपुरुषार्थ नहीं हो सकता। शांति और प्रसन्नता से जीवन नहीं जी सकते। ___ सुराज्य को मनुष्य जब नहीं समझ पाता है, सुराज्य के लाभों को नहीं समझ पाता है तब सामने चलकर वह आफतों को निमंत्रण दे देता है। सुराज्य के लाभों को गँवा देता है। धर्मपुरुषार्थ तो नहीं, वैषयिक सुख-भोगों से भी वह
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