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यही है जिंदगी
२२६ - उन्नति का लक्ष्य होना चाहिए, परन्तु जो उन्नत है, उनसे तुलना नहीं करनी चाहिए।
- जो अवनति में गिरे हैं उनके प्रति तिरस्कार की भावना नहीं होनी चाहिए, परन्तु उनके उद्धार की भावना होनी चाहिए | ___- अपने से ज्यादा उन्नतों की ओर हीन भावना से नहीं देखना है, प्रेम से देखना है। ईर्ष्या से बचना है। 'अपने में भी दूसरों से बड़ी कोई विशेषता है' - वह ढूँढना है। ऐसी कोई कला, ऐसी कोई बाह्य-आन्तरिक शक्ति, ऐसी किसी विशिष्ट कार्यदक्षता को पाकर अपनी 'विशेषता' को स्थापित करना है।
- चन्द्र की अपनी विशेषता है शीतलता प्रदान करना, तो सूर्य की अपनी विशेषता है प्रकाश देना । बादलों की अपनी विशेषता है पानी देना, तो पानी की अपनी विशेषता है जीवन देना। ___ - पहाड़ वृक्षों से ईर्ष्या नहीं करते, वृक्ष पहाड़ों का तिरस्कार नहीं करते। सब अपनी-अपनी विशेषता लिये जीते हैं। ___- कोयल की अपनी विशेषता है, मयूर की अपनी विशेषता है।
- जो मनुष्य अपने में कोई विशेषता नहीं पाता है, दूसरों की विशेषता देखकर खुश नहीं हो सकता है। वह ईर्ष्या... निराशा... निंदा... वगैरह दोषों का शिकार हो जाता है।
- जो मनुष्य अपनी विशेषता को उभारने के लिए दूसरों की विशेषताओं की मजाक उड़ाता है, अवहेलना करता है, वह अपनी विशेषता का अवमूल्यन करता है। - वे दोनों सूर्य की किरणें थीं। एक किरण पड़ी कीचड़ में, दूसरी पड़ी एक पुष्प में। पुष्प की किरण ने दूसरी किरण को कहा : 'जरा दूर रहना, छूकर मुझे भी अपवित्र मत करना।'
दूसरी किरण बोली : 'बहन, हम इस कीचड़ को सुखाएँ नहीं, साफ न करें, तो इस फूल की रक्षा कैसे होगी?'
पुष्प की किरण लज्जित हो गई।
- कीचड़ की किरण की विशेषता को पुष्प की किरण समझ नहीं पायी थी, इसलिए उसको लज्जित होना पड़ा।
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