Book Title: Yahi Hai Jindgi
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 289
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra यही है जिंदगी www.kobatirth.org १२२. बदला लेने की रीत `Worldly Goods' नाम की नोवेल में 'पोल फास्टर' ने एक सुंदर वाक्य लिखा है : Living well is the best revenge. 'दुश्मनी का बदला लेने का उत्तम मार्ग है सुंदर जीवन जीना । ' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्या पता, पोल फास्टर को यह सत्य अमरीकन प्रेसीडेन्ट अब्राहम लिंकन से प्राप्त हुआ होगा या दूसरे से, परंतु लिंकन के मुँह से भी एक बार ऐसे ही शब्द निकले थे। २७१ अब्राहम लिंकन ने एक बार अपने दक्षिण के विरोधियों की प्रशंसा की । सुन कर एक महिला झुंझला गई : 'क्या आप अपने दुश्मनों की प्रशंसा करते हो? दुश्मनों का तो नाश ही करना चाहिए । ' लिंकन ने मुस्करा कर कहा : 'वही तो मैं कर रहा हूँ! उनकी सच्ची प्रशंसा कर, उनको मैं अपने मित्र बना रहा हूँ ! क्या इस तरह मैं दुश्मनों का नाश नहीं कर रहा हूँ?' - दुश्मन... शत्रु ... वैरी... द्वेषी ! कोई हमारे होते हैं, हम किसी के होते हैं। जो महात्मा होते हैं, जो सत्पुरुष होते हैं, जो योगी होते हैं, वे किसी के शत्रु नहीं होते हैं, परन्तु उनके प्रति दुश्मनी रखनेवाले, शत्रुता रखनेवाले लोग होते हैं! - - भगवान महावीर जीवमात्र के मित्र थे, परंतु उनके प्रति शत्रुता रखनेवाले गोशालक वगैरह अनेक लोग थे। - राम के शत्रु थे और कृष्ण के भी शत्रु थे। - हेमचन्द्रसूरि के शत्रु थे और उपाध्याय यशोविजयजी के भी शत्रु थे। परंतु भगवान महावीर ने शत्रुता के सामने, दुश्मनी के सामने हिंसा का मार्ग नहीं लिया, अहिंसा और करुणा का मार्ग लिया । हिंसा का मार्ग सामान्य वीर का होगा, अहिंसा का मार्ग महावीर का है। शत्रु का नाश नहीं, शत्रु को मित्र बनाकर शत्रुता का नाश करना है । - अपने प्रति शत्रुता - दुश्मनी रखनेवालों के प्रति 'मुझे इन्हें भी मित्र बनाने हैं,' ऐसा विचार पैदा होना चाहिए हृदय में । For Private And Personal Use Only

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