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यही है जिंदगी
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१०३. कोई तुम्हें देख रहा है!
वे पिता-पुत्र थे। पिता चोरी करता था, पुत्र को साथ में रखता था।
एक दिन दोनों एक खेत में चोरी करने गये। पिता ने पुत्र से कहा : 'बेटा, तू यहाँ खेत के बाहर बैठना, कोई आता हुआ दिखाई दे तो मुझे सावधान कर देना । मैं फसल काट कर इकट्ठी करता हूँ।'
पिता फसल काट कर इकट्ठी करने लगा। उधर लड़के ने आसमान में देखा । उसको लगा कि कोई दिव्य आकृति उसको देख रही है। उसको एक संत पुरुष का उपदेश याद आ गया : 'भगवान हमेशा हमें देखता रहता है...।'
लड़का चिल्लाया : 'पिताजी, हमें भागना चाहिए... देखनेवालों ने देख लिया है!' पिता घबराया। काटी हुई फसल छोड़कर पुत्र के साथ भागने लगा। घर पर जाकर पिता ने पुत्र से पूछा : 'बेटा, कौन था वह देखनेवाला?' पुत्र ने कहा : 'भगवान ।' पिता पुत्र के निर्दोष चेहरे को देखता रहा। उसने चोरी करने का पाप छोड़ दिया।
- ऊपर... सबसे ऊपर... 'सिद्धशिला' है। वह लोकान्त है। - वहाँ अनंत-अनंत शुद्ध-बुद्ध-सिद्ध आत्माएँ रहती हैं। - जो जीवात्मा सभी कर्मबंधनों से मुक्त होती है वह वहाँ चली जाती है। अनंत काल वहीं पर स्थिर रहती है। - वे सिद्ध भगवंत, समग्र जड़-चेतन विश्व को निरंतर देखते हैं और जानते हैं।
- उन सिद्ध भगवंतों को हम पूजनीय मानते हैं, श्रद्धेय मानते हैं। क्या हमें स्मृति है कि
- हमारी हर क्रिया को वे देखते हैं। - हमारे हर विचार को वे जानते हैं। - हमारी कोई भी क्रिया, हमारा कोई भी विचार उनसे छिपा हुआ नहीं रह सकता है। ___- वैसे, जो भी केवलज्ञानी होते हैं, पूर्णपुरुष होते हैं, वे हमारे सभी कार्यों को और विचारों को देखते हैं, जानते हैं।
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