________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यही है जिंदगी
२३४ परमात्मा तो सदा-सर्वत्र हमारे प्रेरणास्रोत हैं ही। प्रेरणास्रोत के रूप में ही उनका अवलंबन ग्रहण करना है। पुरुषार्थ तो हमें स्वयं ही करना है।
पुरुषार्थशील मनुष्य दुःखों से नहीं डरता है, सुखप्राप्ति के लिए आतुर नहीं होता है।
पुरुषार्थ की आराधना करने के लिए ही यह मनुष्य-जीवन है।
For Private And Personal Use Only