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यही है जिंदगी
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२०१. समझदारी की मांग
१०१. समझदारी की माँग
इच्छा... चाह... कामना!
यदि मनुष्य में कोई इच्छा नहीं है, कोई चाह नहीं है... कोई कामना नहीं है... तो कैसा होगा उसका जीवन?
- यदि प्रकाश की चाह नहीं है तो अंधकार... - यदि अमृत की चाह नहीं है तो विष...
- जीवन में उत्साह, उमंग, साहस... धैर्य इत्यादि के लिए मनुष्य में चाह होनी चाहिए, कामना होनी चाहिए।
- परन्तु बिना ज्ञान की चाह अंधकार की ओर ले जायेगी। - बिना ज्ञान की चाह हलाहल विष की ओर ले जायेगी। - साँप का ज्ञान नहीं है बच्चे को, उसको खिलौने की चाह है... वह साँप को खिलौना समझ कर पकड़ लें, तो क्या होगा? ___- स्वर्ण का ज्ञान नहीं है, स्वर्ण की चाह है, क्या होगा? स्वर्ण मानकर पीतल ले आएगा। ___ - जिस वस्तु की इच्छा करें, उस वस्तु का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। उस वस्तु का स्वरूप, उस वस्तु का उपयोग, उसका परिणाम... जानना चाहिए।
- एक भाई को घर में टी.वी. सेट बसाने की इच्छा हई। पैसे थे पास में. रंगीन टी.वी. ले आए। घर में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के थे। टी.वी. देखने में उनको मजा आ गया... पढ़ाई छूट गई, परीक्षा में फेल हो गये। अब वह महानुभाव घर में से टी.वी. निकालना चाहते हैं, लड़के और लड़कों की माँ रखना चाहते हैं! समस्या पैदा हो गई।
इसलिए कहता हूँ - बिना ज्ञान की इच्छा दुःख और अशांति की ओर ले जायेगी। बिना ज्ञान की इच्छा अन्धी होती है। इच्छा करने वाला भी अन्धा होता है... गड्ढे में गिरने से कौन बचायेगा? __- बिना क्रिया का ज्ञान निरर्थक है। निरर्थक ही नहीं, अपितु अनर्थकारी होता है। ___- मार्ग का ज्ञान हो, परन्तु मार्ग पर सोचे-समझे बिना चले तो मंजिल पर कैसे पहुंचेगा?
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