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यही है जिंदगी
१६६ हनुमान, सुग्रीव, विभीषण... वगैरह श्रीराम के परिचित कहाँ थे? फिर भी वे श्रीराम के परिचित हो गये थे और विश्वसनीय बन गये थे न?
बीहड़ जंगल में सीताजी को राजा वज्रजंघ जो मिला था, अपरिचित ही था न? परन्तु कितना परम विश्वसनीय बन गया था?
- कोई हमारा विश्वासघात करता है, तो हमें अपने पापकर्म का उदय मानना चाहिए।
- हम यदि किसी का विश्वासभंग करते हैं, तो अपनी अयोग्यता मान लेनी चाहिए। - परिचित और अपरिचित - सभी के विश्वास का सम्पादन करना चाहिए |
जीवनयात्रा में कभी कोई परिचित अपरिचित बन जाता है... कभी कोई अपरिचित परिचित बन जाता है! यह एक वास्तविकता है। हमें इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उद्वेग भी नहीं होना चाहिए।
- जन्म-जन्मान्तर की कहानी तो इस वास्तविकता से भरी पड़ी है! मृत्यु... एक ऐसा परिवर्तन कर देती है कि परिचित परिचित नहीं रहते, अपरिचित हो जाते हैं।
अपरिचित क्षेत्र में प्रवेश जैसे रोमांचक होता है, वैसे अपरिचित व्यक्तियों का परिचय भी रोमहर्षक होता है! अपरिचितों से परिचय करने की कला चाहिए।
अपरिचित आत्माओं से... अपरिचित महात्माओं से... अपरिचित परमात्मा से... परिचय करते रहें...| परिचय में प्रेम हो, आदर हो... तो वह परिचय पापों का नाश कर सकता है।
अपरिचित का स्वागत स्मित के साथ करो...
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