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यही है जिंदगी
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. आज के दिन इतन
आज!
आज मैं खुश रहूँगा! आज मैं अच्छे और विधेयात्मक विचार ही करता रहूँगा। 'स्व-मन की प्रसन्नता दुर्लभ है' - इस कथन के आशय को चरितार्थ करने का प्रयत्न करूँगा। मन की प्रसन्नता अखंडित रखने के लिए जाग्रत रहूँगा। __आज मैं अपने स्नेही-स्वजन एवं मित्रों के साथ अनुकूल प्रवृत्ति करूँगा। उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं करूँगा। उनकी अच्छी प्रवृत्तियों में सहयोगी बनूँगा। किसी के क्लेश में निमित्त नहीं बनूंगा। उनके गुणों को ही देखने का प्रयत्न करूँगा। दोष नहीं देखुंगा, फिर भी दोषदर्शन हो गया, तो दोषों को महत्त्व नहीं दूंगा।
आज मैं अपने मन को स्थिर, पवित्र और प्रसन्न रखने का प्रयत्न करूँगा। मन को फालतू बातों में भटकने नहीं दूंगा। मन को फुरसत ही नहीं मिले, वैसे स्वाध्याय-चिंतन में निमग्न रखूगा। अच्छे सेवा-कार्यों में लीन रखूगा।
आज, मेरी अंतरात्मा को तृप्ति मिले वैसा एक अच्छा कार्य तो अवश्य करूँगा। 'मानव-जीवन, धर्म-पुरुषार्थ कर लेने के लिए अति दुर्लभ समय है,' यह भगवद वचन आज मैं नहीं भूलूंगा। मैंने अच्छे कार्यों की एक सूची बनायी है, मेरी अभिरूचि के अनुरूप। उस सूची में से कोई एक कार्य आज मुझे करना है। ___ आज मैं अपने शरीर की स्वस्थता का भी ख्याल करूँगा। मेरी शारीरिक प्रकृति का मुझे ज्ञान है। अपनी प्रकृति के अनुरूप भोजन ही मैं करूँगा। भोजन में धर्म की आज्ञाओं का पालन करूँगा | कुपथ्य का सेवन नहीं करूँगा। शरीर को साधन के रूप में स्वस्थ एवं नीरागी बनाये रखने का प्रयत्न करूँगा। प्रमाद नहीं करूँगा, वैसे अति श्रम भी नहीं करूँगा। संतुलित भोजन करूँगा। शरीर को जड़, अशक्त या प्रमादी नहीं होने दूंगा।
आज मैं ऐसे भी दो-तीन अच्छे कार्य करूँगा, जो कार्य करने को मन नहीं मानता है! कुछ कार्य अच्छे होने पर भी मन उन कार्यों को करने के लिए तत्पर नहीं होता है। मन की इस आदत को मिटाने के लिए आज मैं वैसे दोतीन कार्य अवश्य करूँगा।
आज मैं मन की दूसरी भी एक बुरी आदत को मिटाने का प्रयत्न करूँगा! वह आदत है - अपने किये हुए अच्छे कार्य दूसरों को बताना और प्रशंसा
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