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यही है जिंदगी
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व१००. 'अल्फा' से 'ओमेगा' तक इ
लेटिन में 'अल्फा' का अर्थ होता है पहला और 'ओमेगा' का अर्थ होता है अन्तिम । पश्चिम का तत्त्वचिंतक 'टेल्हार्ड डी चार्डिन' कहता है
"God is the Omega Point'. परमात्मा, विकास का अन्तिम बिन्दु है। विकास की अन्तिम संभावना है। - हमारे विकास का लक्ष्य क्या है?
- क्या हमने विकास की दिशा, विकास का अन्तिम बिन्दु निश्चित किया है? शांति के क्षणों में सोचना आवश्यक है। ___ - भौतिक क्षेत्र में विकास की कितनी संभावना है? अन्तिम बिन्दु कौन-सा है? इस जीवन में उस अन्तिम बिन्दु तक पहुँच सकते हैं क्या? अधूरा विकास, आने वाले जन्म में आगे बढ़ सकता है क्या? भौतिक विकास का अन्तिम लक्ष्य बनाया एक लाख अरब रुपये । इस जीवन में एक हजार अरब रुपये पा लिये, मृत्यु हुई, दूसरे जन्म में क्या शेष ९९ हजार अरब रुपये पा लेंगे?
- मान लो कि अन्तिम बिन्दु तक पहुँच गये, क्या एक लाख अरब रुपये हमारे पास हमेशा के लिए रहेंगे? यदि नहीं रहते हैं तो फिर उसको विकास कैसे कहें?
- आत्मविकास की संभावना का चिंतन करें।
- आत्मविकास का अर्थ है गुणों का विकास, आत्मिक गुणों का विकास । ज्ञान का विकास, वैराग्य का विकास, करुणा का विकास, क्षमा वगैरह गुणों का विकास! - आत्मविकास का अन्तिम बिन्दु है परमात्मा। - हर आत्मा परमात्मा बन सकती है। परमात्मा बनने का स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। - परमात्मा बनने के बाद जीवात्मा नहीं बनना पड़ता।
- परमात्मदशा क्षणिक नहीं होती है, शाश्वत होती है। परमात्मदशा का विनाश नहीं होता है, वह अविनाशी होती है।
-- परमात्मदशा में पूर्ण ज्ञान होता है, पूर्ण वीतरागता होती है, संपूर्ण गुणसमृद्धि होती है। पूर्ण सुख होता है।
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