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यही है जिंदगी
१९३ चाहिए। हमें दान देना है आनंद से, हमें शील का पालन करना है आनंद से, हमें परमार्थ-परोपकार करना है आनंद से।
- हमें संयम-जीवन जीना है - वह भी आनंद से | न हो हमारे हृदय में ग्लानि, न हो हमारे मुख पर उदासी, न हो हमारे कार्यकलापों में खेद, न हो हमारी वाणी में विषाद।
- साधक की हर साधना, उपासक की हर उपासना मग्नता से परिपूर्ण होनी चाहिए।
- चलो... परमात्मा से मिलकर प्रार्थना करें : 'हे आनंद सिन्धु! सभी जीवों के शोक-उद्वेग दूर करने की कृपा करो। सभी जीवों को आनंद से पल्लवित करो। सभी जीवों को... सभी दिशाओं से आनंद धाराएँ मिलती रहे।
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