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यही है जिंदगी
৭99 -- आत्महत्या से शरीर छूट जायेगा । 'कार्मण शरीर' और 'तैजस शरीर' जो सूक्ष्म शरीर है, वे छूट जायेंगे क्या? - एक व्यक्ति में से एक संप्रदाय खड़ा हो गया।
- किसी भी संप्रदाय का प्रारम्भ एक व्यक्ति से होता है। हर व्यक्ति को अपनी समान विचारधारा के कुछ लोग तो मिल ही जाते हैं। बस, कुछ लोगों का समूह बना... बन गया संप्रदाय । अपने संप्रदाय के प्रति राग और दूसरों के प्रति द्वेष | ___- ऐसे राग-द्वेष करने वाले 'मोक्ष' का उपदेश देते हैं दुनिया को। __- खुद जमीनकंद खाने वाले दूसरों को जमीनकंद नहीं खाने का उपदेश दें तो? ___ - स्वयं वेश्या, दूसरी महिलाओं को 'सती' बनने का उपदेश दे तो?
- दुनिया में मिल जायेंगे ऐसे उपदेशों को सुनने वाले! दुनिया में मूों की कभी भी कमी नहीं रही है। ___ - वस्त्र पहनने से ही मोक्ष मिलता है - यह बात जैसे असत्य है वैसे 'नग्न रहने से ही मोक्ष मिलता है' - यह बात भी झूठ है। ___ - राग-द्वेष का त्याग करने से ही आत्मा का मोक्ष होता है, यह बात सत्य
किसी व्यक्ति के प्रति राग-द्वेष नहीं। - किसी वस्तु के प्रति राग-द्वेष नहीं... केवल समतायोग |
समतायोगी ही कर्मबन्धनों को तोड़ता है। समतायोगी को कर्मबंधन तोड़ने नहीं पड़ते हैं, बंधन स्वतः टूट जाते हैं। - समतायोगी इन्द्रियों का विजेता होता है। - समतायोगी कषायों का विजेता होता है। ऐसा समतायोगी वस्त्रधारी भी हो सकता है और वस्त्ररहित मनुष्य भी हो सकता है। - समतायोगी की दृष्टि में वन और सदन में कोई भेद नहीं होता है, दिन और रात में कोई भेद नहीं होता है।
- समतायोगी की दृष्टि में कोई पापी नहीं होता, कोई पुण्यशाली नहीं होता...| कोई निर्धन नहीं होता, कोई श्रीमन्त नहीं होता...|
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