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यही है जिंदगी
१५४ परम करुणावंत सर्वज्ञ परमात्मा की शरणागति और उनके आगे सभी दुष्कृत्यों का प्रकाशन - यह एक मार्ग लगता है निर्भयता प्राप्त करने का।
- दूसरा मार्ग : दुष्कृत्यों के फलस्वरूप जो भी दुःख आने संभवित हों, उन दुःखों को सहजता से स्वीकार करना। ___- तीसरा मार्ग : परपदार्थों की अपेक्षाएँ कम करता चलूँ। अपेक्षाओं की वृद्धि तो होनी ही नहीं चाहिए। निर्भयता में ही सुख है। निर्भयता में ही आनंद है। मुझे निर्भय होना ही है...
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