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यही है जिंदगी
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लोगों के कहने से कोई संत नहीं बन जाता। लोगों के कहने से कोई शैतान नहीं बन जाता ।
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- दुनिया में रहना है पर दुनिया से निरपेक्ष रहना है। लोगों के बीच रहना है पर लोगों से निरपेक्ष रहना है। इस निरपेक्षता में निराकुलता होनी चाहिए । निराकुलता का जन्म क्या निरपेक्षता से नहीं होता ?
सापेक्षता में आकुलता है,
- निरपेक्षता में निराकुलता है।
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