________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यही है जिंदगी
१३०
___१३० ६५. दाँव पर सब कुछ लगा दो इ
कुछ पाना! कुछ छोड़ना! मनुष्य कुछ छोड़ता जाता है, कुछ पाने के लिये!
जो पाता है, एक दिन उसको छोड़ता है! मानव-मन की एक आदत हो गई है - कुछ पाना, कुछ छोड़ना! जीवन यानी पाना और छोड़ना! अनंत इच्छाओं का केन्द्र बना है, पाना और छोड़ना। असंख्य प्रवृत्तियों का केन्द्र बना है पाना और छोड़ना! अंत ही नहीं है इस चक्र का।
एक दिन जिसको पाना चाहता था आज उसको ही छोड़ना चाहता हूँ! एक दिन जिसको छोड़ना चाहता था आज उसको पाना चाहता हूँ | कैसा है मन?
'कोलरेडो' में जब सबसे पहली दफा सोने की खदानें मिली तो सारा अमरीका दौड़ पड़ा था कोलरेडो की तरफ। लोगों ने कोलरेडो में जमीन खरीद ली। एक करोड़पति ने अपनी सारी संपत्ति लगाकर पूरी पहाड़ी ही खरीद ली। बड़े-बड़े यंत्र लगाये। छोटे-छोटे लोग छोटे-छोटे खेतों में सोना खोज रहे थे, यह बड़ा आदमी था, बड़ी मशीनें लगाकर सोना खोज रहा था! बड़ी खुदाई की, परन्तु सोने का कोई पता नहीं लगा। लोगों में घबराहट फैलनी शुरू हो गई। उस करोड़पति ने सारी संपत्ति लगा दी थी न! वह बहुत घबरा गया। अपने स्नेही-स्वजनों से कहने लगा : 'हम तो मर गये।' जब पहाड़ी ली थी तब बोला था : 'हम तो मालामाल हो गये!' आज जब सोना नहीं मिल रहा है तब बोलता है : 'हम तो मर गये!'
उसने विज्ञापन दिया कि 'मैं पूरी पहाड़ी बेचना चाहता हूँ, खुदाई का सारा सामान साथ होगा।' घर के लोगों ने कहा : 'कौन खरीदेगा? सब लोग जब जान गये हैं कि पहाड़ खाली है, उसमें सोना नहीं है! उसमें लाखों रुपये खराब हो गये हैं, अब कौन पागल होगा जो इसको खरीदने आएगा?' ___ परन्तु एक पागल मिल गया खरीदने वाला! बेचने वाले को मन में हुआ कि उसको कह दें कि 'पागलपन मत करो, क्योंकि मैं मर गया हूँ।' परन्तु उसको तो अब छोड़ना था... पहाड़ बेचना ही था... क्यों कहे ऐसा? उसने बेच दिया । बेचने के बाद कहा : 'आप भी अजीब पागल मालूम होते हो!' उस आदमी ने कहा : 'जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है, जहाँ तक तुमने खोदा, वहाँ तक सोना न हो! लेकिन आगे हो सकता है! और जहाँ तुमने नहीं खोदा है वहाँ पर
For Private And Personal Use Only