Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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खंडागमकी प्रस्तावना
प्रकार सात पूर्वोके अन्तर्गत वस्तुओंकी संख्या में दोनों सम्प्रदायोंमें मतभेद है । शेष सात पूर्वोकी वस्तु संख्या में कोई भेद नहीं है । श्वेताम्बर मान्यतामें प्रथम चार पूर्वे के अन्तर्गत वस्तुओं के अतिरिक्त चूलिकाओंकी संख्या भी दी गई है, और दृष्टिवादके पंचमभेद चूलिकाके वर्णनमें कहा है कि वहां उन्हीं चार पूर्वोकी चूलिकाओंसे अभिप्राय है । यदि ये चूलिकाएं पूर्वोके अन्तर्गत थीं, तो यह समझ में नहीं आता कि उनका फिर एक स्वतंत्र विभाग क्यों रखा गया । दिगम्बरीय मान्यतामें पूर्वोके भीतर कोई चूलिकाएं नही गिनायी गईं और चूलिका विभागके भीतर जो पांच चूलिकाएं बतलायी हैं उनका प्रथम चार पूर्वोसे कोई संबंध भी ज्ञात नहीं होता ।
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समवायांग और नन्दी सूत्र में पूर्वोके अन्तर्गत वस्तुओं और चूलिकाओं की संख्या -सूचक निम्न तीन गाथाएं पाई जाती हैं
धवला ( वेदनाखंड के आदिमें ) पूर्वोके अन्तर्गत वस्तुओं और वस्तुओंके अन्तर्गत पाहुडोंकी संख्याकी द्योतक निम्न तीन गाथाएं पाई जाती हैं
दस चोद्दस अट्ठारस (अट्ठारस ) वारस य दोसु पुब्वैसु । सोलस वीस तीसं दसमंमि य पण्णरस वत्थू ॥ १ ॥ एदेसिं पुग्वाणं एवदिओ वत्थुसंगहो भणिदो । सेसाणं पुत्राणं दस दस वत्थू पणिवयामि ॥ २ ॥ एकेक य वत्थू वीसं वीसं च पाहुडा भणिदा ।
विसम-समा हि यवत्थू सच्चे पुण पाहुडेहि समा ॥ ३ ॥
इनके अंक भी धवलामें दिये हुए हैं जिन्हें हम निम्न तालिकाद्वारा अच्छीतरह प्रकट कर
सकते हैं।
पूर्व १ २
वत्थू
पाहुड २०० २८० १६० ३६० २४० २४० ३२० ४००
१०
दस चोट्स अट्ठारसेव बारस दुवे य वत्थूणि । सोलस तीसा वीसा पण्णरस अणुष्पवामि ॥ १ ॥ बारस एक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नवीसाओ ॥ २ ॥ चत्तारि दुवास अटु चैव दस चेव चूलवत्थूणि । आइलाण चउन्हं सेसाणं चूलिया णत्थि ॥ ३ ॥
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५ ६ ७
१२ ૧૮ | ૨૨
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२०
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३०
सव्व वत्थु समासो पंचाणउदिसदमेत्तो १९५ । सव पाहुड समासो ति सहस्स-णव-सद-मेत्तो ३९०० ।
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६०० ३००
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१०
२००
१२
१०
१४ १३
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कुल
१०
१९५
२०० २०० २०० ३९००
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