Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, १.] संत-पलवणाणुयोगद्दारे संजम-आलाबवण्णणं
[.११ अस्थि, तिणि वेद अवगदवेदो वि अत्थि, चत्तारि कसाय अकसाओ वि अस्थि, पंच णाण, पंच संजम, चत्तारि दंसण, दव्वेण छ लेस्साओ, भावेण तेउ-पम्म-सुकलेस्साओ अलेस्सा वि अस्थिभवसिद्धिया, तिण्णि सम्मत्तं, सण्णिणो णेव सणिणो णेव असणिणो, आहारिणो अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा सागार-अणागारेहि जुगवदुवजुत्ता वा होति।
पमत्तसंजदाणं भण्णमाणे अत्थि एवं गुणहाणं, दो जीवसमासा, छ पज्जचीओ छ अपज्जत्तीओ, दस पाण सत्त पाण, चत्तारि सण्णाओ, मणुसगदी, पंचिंदियजादी, तसकाओ, एगारह जोग, तिण्णि वेद, चत्तारि कसाय, चत्वारि णाण, तिण्णि संजम, तिण्णि दंसण, दव्वेण छ लेस्साओ, भावेण तेउ-पम्म-सुक्कलेस्साओ; भवसिद्धिया, विण्णि
स्थान भी है, तीनों वेद तथा अपगतवेदस्थान भी है, चारों कषाय तथा अकषायस्थान भी है, मतिज्ञानादि पांचों सुशान, सामायिकादि पांचों संयम, चारों दर्शन, द्रव्यसे छहों लेश्याएं, भावसे तेज, पन और शुक्ल लेश्याएं तथा अलेश्यास्थान भी है। भन्यसिद्धिक, औपशमिकादि तीन सम्यक्त्व, संशिक तथा संशिक और असंज्ञिक इन दोनों विकल्पोंसे रहित भी स्थान है, आहारक, अनाहारक; साकारोपयोगी, अनाकारोपयोगी तथा साकार और अनाकार उपयोगोंसे युगपत् उपयुक्त भी होते हैं।
संयममार्गणाकी अपेक्षा प्रमत्तसंयत जीवोंके आलाप कहने पर-एक प्रमत्तसंयत गुणस्थान, संझी-पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, छहों अपर्याप्तियां दशों प्राण, सात प्राण, चारों संशाएं, मनुष्यगति, पंचेन्द्रियजाति, बसकाय, चारों मनोयोग, चारों वचनयोग, औदारिककाययोग, आहारककाययोग और आहारकमिश्रकाययोग ये ग्यारह योग, तीनों वेद, चारों कषाय, आदिके चार ज्ञान, सामायिक, छेदोपस्थापना और परिहारविशुद्धि ये तीन संयम, आदिके तीन दर्शन, द्रब्यसे छहों लेश्याएं, भावसे तेज, पत्र और शुक्ल लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, औपशमिक आदि तीन सम्यक्त्व, संक्षिक, आहारक,
नं. ३७२ | गु. जी. प. प्रा. सं. ग. प्रम. सं.प.अ.
पंचे. - त्रस. -4
संयमी जीवोंके सामान्य भालाप. यो. वे. क. झा. संय. द. ले. म. स. संझि. | आ. | .
- मति. सामा. मा.३ म. औप. सं. आहा. विना. धुत. छेदो. शुभ. क्षा. अनु. अना. अना. अव. परि. अले.
मु. . मनः, सूक्ष्म. केव. यथा..
क्षीणसं.
अपग.. अकषा.
अयो.
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