Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१,१.]
अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा ।
चक्खुदंसण- सासणसम्माइट्ठिप्प हुडि जाव खीणकसाओ त्ति मूलोघ-भंगो, णवरि चक्खुदंसणं ति भाणिदव्वं ।
संत-परूवणाणुयोगद्दारे दंसण आलावणणं
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" अचक्खुदंसणाणं भण्णमाणे अत्थि बारह गुणट्टाणाणि, चोइस जीवसमासा, छ पजत्तीओ छ अपजतीओ पंच पज्जत्तीओ पंच अपज्जत्तीओ चत्तारि पज्जत्तीओ चत्तारि अपज्जतीओ, दस पाण सत्त पाण णव पाण सत्त पाण अड्ड पाण छ पाण सत्त पाण पंच पाण छ पाण चत्तारि पाण चत्तारि पाण तिष्णि पाण, चत्तारि सण्णाओ खीणसण्णा वि अस्थि, चत्तारि गईओ, एइंदियजादि -आदी पंच जादीओ, पुढवीकायादी छ काय, पण्णारह जोग, तिणि वेद अवगदवेदो वि अस्थि, चत्तारि कसाय अकसाओ वि अस्थि, सत्त णाण, सत्त संजम, अचक्खुदंसण, दव्व-भावेहिं छ लेस्साओ, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया,
लेश्याएं; भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिकः मिथ्यात्व, संज्ञिक, असंज्ञिकः आहारक, अनाहारकः कारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं ।
चक्षुदर्शनी सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर क्षीणकषाय गुणस्थान तकके आलाप मूल ओघालापके समान होते हैं। विशेष बात यह है कि दर्शन आलाप में 'चभ्रुदर्शन ' ऐसा कहना चाहिए |
अचक्षुदर्शनी जीवों के सामान्य आलाप कहने पर - - आदिके बारह गुणस्थान, चौदहों जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, छहों अपर्याप्तियां पांच पर्याप्तियां, पांच अपर्याप्तियां; चार पर्याप्तियां, चार अपर्याप्तियां: दशों प्राण, सात प्राणः नौ प्राण, सात प्राणः आठ प्राण, छह प्राण; सात प्राण, पांच प्राणः छह प्राण, चार प्राण; चार प्राण, तीन प्राण; चारों संज्ञाएं तथा क्षीणसंज्ञास्थान भी है, चारों गतियां, एकेन्द्रियजाति आदि पांचों जातियां, पृथिवीकाय आदि छहों काय, पन्द्रहों योग, तीनों वेद तथा अपगतवेदस्थान भी है, चारों कषाय तथा अकषायस्थान भी है, केवलज्ञानके बिना सात ज्ञान, सातों संयम, अचक्षुदर्शन, द्रव्य और भावसे छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिकः छहों सम्यक्त्व, संशिक, असंशिक;
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नं. ३८७
गु. जी. प.
प्रा.
सं. ग. इं. का.
९ १४६ प. १०,७ ४ ४ ५ ६ १५
मि.
६अ. ९,७
से
५५. ८, ६
क्षीण.
५अ. ७,५
४५.
६,४
४ अ. ४, ३
क्षीणसं. २
अदर्शनी जीवोंके सामान्य आलाप.
यो.वे. क. ज्ञा. | संय. द.
[ ७४३
Im leble
३४ ७ ७ १
केव.
विना
द्र. ६ २ अच. भा. ६ भ.
अ.
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ले. भ. स. संज्ञि. आ.) उ.
६
२ २ २ सं. आहा. साका. असं अना. अना.
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