Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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८३०] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, १. असंजमो, दो दमण, दव-भावेहि छ लेस्साओ, भवसिद्धिया, सासणसम्मत्तं, सणिणो, आहारिणो अणाहारिणो, सागारुखजुत्ता होंति अणागारुखजुत्ता वा ।
तेसिं चेव पज्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एयं गुणट्ठाणं, एओ जीवसमासो, छ पज्जत्तीओ, दस पाण, चत्तारि सण्णाओ, चत्तारि गईओ, पंचिंदियजादी, तसकाओ, दस जोग, तिणि वेद, चत्तारि कसाय, तिण्णि अण्णाण, असंजमो, दो दसण, दव्वभावेहि छ लेस्साओ, भवसिद्धिया, सासणसम्मत्तं, सणिणो, आहारिणो, सागारुवजुत्ता हॉति अणागारुवजुत्ता वा।
तेसिं चेव अपज्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एवं गुणट्ठाणं, एओ जीवसमासो, छ अपज्जत्तीओ, सत्त पाण, चत्तारि सपणाओ, तिण्णि गईओ, पंचिंदियजादी, तसकाओ, तिणि जोग, तिणि वेद, चत्तारि कसाय, दो अण्णाण, असंजमो, दो दसण, दव्वेण
द्विक विना शेष तेरह योग, तीनों वेद, चारों कषाय, तीनों अज्ञान, असंयम, आदिके दो दर्शन, द्रव्य और भावसे छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, सासादनसम्यक्त्व, संशिक, आहारक, अनाहारक; साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं संक्षी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके पर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक सासादन गुणस्थान, एक संज्ञी-पर्याप्त जीवसमाल. छहों पर्याप्तियां, दशों प्राण, चारों संज्ञाएं, चारों गतियां, पंचेन्द्रियजाति, अलकायचारों मनोयोग, चारों वचनयोग, औदारिककाययोग और वैक्रियिककाययोग ये दश योग; तीनों वेद, चारों कषाय, तीनों अज्ञान, असंयम, आदिके दो दर्शन, द्रव्य और भावले छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, सासादनसम्परत्व, संज्ञिक, आहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं संझी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके अपर्याप्तकाल संबन्धी आलाप कहने पर-एक सासादन गुणस्थान, एक संजी-अपर्याप्त जीवतमाल, छह अपर्याप्तियां, सात प्राण, चारों संक्षाएं, नरकगतिके विना शेष तीन गतियां, पंचेन्द्रियजाति, त्रसकाय, औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र और कार्मणकाययोग ये तीन योग, तीनों वेद, चारों कषाय, आदिके दो अज्ञान,
नं. ५०८ संज्ञी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके पर्याप्त आलाप. । गु. जी, /प. प्रा. सं. ग.) ई.) का | यो. । वे | क. | ज्ञा. । संय. | द. ले. । म | स. संज्ञि. | आ. | उ. | | ११६१०४|४|११० | ३ | ४ ३ । । २ द्र. ६ | 11 १ | १२ सा.सं.प. पं. त्र. म. ४ अज्ञा. अस. चक्षु भा.६ म. मासा. सं. आहा. साका.
अना. औ.
व.४
अच.
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