Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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५४०] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, १. तेउ-पम्म-सुक्कलेस्साओ; भवसिद्धिया, सासणसम्मत्तं, सणिणो, आहारिणो, सागारुवजुत्ता होति अणागारुवजुत्ता वा।
तेसिं चेव अपजत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एयं गुणहाणं, एओ जीवसमासो, छ अपज्जत्तीओ, सत्त पाण, चत्तारि सण्णाओ, देवगदी, पंचिंदियजादी, तसकाओ, दो जोग, दो वेद, चत्तारि कसाय, दो अण्णाण, असंजमो, दो दंसण, दव्वेण काउ-सुक्कलेस्सा, भावेण छ लेस्साओ; भवसिद्धिया, सासणसम्मत्तं, सणिणो, आहारिणो, अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा ।
देव-सम्मामिच्छाइट्ठीणं भण्णमाणे अस्थि एवं गुणट्ठाणं, एओ जीवसमासो, छ पज्जत्तीओ, दस पाण, चत्तारि सण्णाओ, देवगदी, पंचिंदियजादी, तसकाओ, णव जोग, दो वेद, चत्तारि कसाय, तिण्णि णाणाणि तीहिं अण्णाणेहि मिस्साणि, असंजमो, दो
अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्यसे छहों लेश्याएं, भावसे तेज, पन और शुक्ललेश्याएं; भव्यसिद्धिक, सासादनसम्यक्त्व, संज्ञिक, आहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं सासादनसम्यग्दृष्टि देवोंके अपर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक सासा. दन गुणस्थान, एक संझी-अपर्याप्त जीवसमास, छहों अपर्याप्तियां, सात प्राण, चारों संज्ञाएं, देवगति, पंचेन्द्रियजाति, वसकाय, वैक्रियिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग ये दो योग, नपुंसकवेदके विना दो वेद, चारों कषाय, कुमति और कुश्रुत ये दो अज्ञान, असंयम, चक्षु और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्यसे कापोत और शुक्ल लेश्याएं, भावसे छहों लेश्याएं; भव्यसिद्धिक, सासादनसम्यक्त्व, संज्ञिक, आहारक, अनाहारका साकारोपयोगी और अना. कारोपयोगी होते हैं।
- सम्याग्मथ्यादृष्टि देवोंके अपर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, एक संज्ञी-पर्याप्त जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, दशों प्राण, चारों संज्ञाएं, देवगति, पंचन्द्रियजाति, बसकाय, चारों मनोयोग, चारों वचनयोग और वैक्रियिककाययोग ये नौ योग; नपुंसकवेदके विना दो वेद, चारों कषाय, तीनों अज्ञानोंसे मिश्रित आदिके तीन शान, असंयम, चक्षु और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्यसे छहों लेश्याएं, भावसे तेज,
नं. १४८ सासादनसम्यग्दीष्ट देवोंके अपर्याप्त आलाप. | गु. जी. प प्रा. सं. ग. इं.का. यो. वे. क. ज्ञा. | संय. द. ले. भ. स. संक्षि. आ. उ. । ११ ६७ ४१ १.१.
२२४ २ | १ | २ | द्र.२.१ १२२ । २
वै मि. स्त्री. कुम. असं. चक्षु. का. म. सा. सं. आहा. साका. iv कार्म. पु. कुश्रु. अच. शु..
अना. अनाका. भा. ६
पंचे. त्रस. -
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