Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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५५४ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, १. तेसिं चेव पज्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एवं गुणट्ठाणं, एओ जीवसमासो, छ पजत्तीओ, दस पाण, चत्तारि सण्णा, देवगदी, पंचिंदियजादी, तसकाओ, णव जोग, दो वेद, चत्तारि कसाय, तिण्णि अण्णाण, असंजमो, दो दंसण, दव-भावेहि मज्झिमा तेउलेस्सा, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छत्तं, सण्णिणो, आहारिणो, सागारुखजुत्ता होति अणागारुवजुत्ता वा।
तेसिं चेव अपञ्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एवं गुणट्ठाणं, एओ जीवसमासो, छ अपज्जत्तीओ, सत्त पाण, चत्तारि सण्णा, देवगदी, पंचिंदियजादी, तसकाओ, दो जोग, दो वेद, चत्तारि कसाय, दो अण्णाण, असंजमो, दो दंसण, दव्वेण काउ-सुक्कलेस्सा, भावेण मज्झिमा तेउलेस्सा, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छत्तं, सणिणो, आहारिणो
उन्हीं मिथ्यादृष्टि सौधर्म ऐशान देवोंके पर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, एक संझी-पर्याप्त जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, दशों प्राण, चारों संज्ञाएं, देवगति, पंचेन्द्रियजाति, त्रसकाय. चारों मनोयोग, चारों वचनयोग और वैक्रियिककाययोग ये नौ योग; नपुंसकवेदके विना दो वेद, चारों कषाय, तीनों अज्ञान, असंयम, चक्षु
और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्य और भावसे मध्यम तेजोलेश्या, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिक; मिथ्यात्व, संक्षिक, आहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं मिथ्यादृष्टि सौधर्म ऐशान देवोंके अपर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, एक संज्ञी-अपर्याप्त जीवसमास, छहों अपर्याप्तियां, सात प्राण, चारों संज्ञाएं, देवगात, पंचेन्द्रियजाति, त्रसकाय, वैकियिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग ये दो योग, नपुंसक वेदके विना दो वेद, चारों कषाय, कुमति और कुश्रुत ये दो अज्ञान, असंयम, चक्षु और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्यसे कापोत और शुक्ल लेश्याएं, भावसे मध्यम तेजोलेश्या; भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिक; मिथ्यात्व, संक्षिक, आहारक, अनाहारक; साकारो
नं. १६८
मिथ्यादृष्टि सौधर्म ऐशान देवोंके पर्याप्त आलाप.
| गु. | जी.प.प्रा.| ग. इं.का. यो. वे. | क. ज्ञा. संय. द. ले. म. स. संज्ञि. आ. | उ. । ११६१०४१११९ २४ ३ - १ २ द्र. १२१ १ १ २ मि. सं.प. प.
म.४ खी. अज्ञा. असं. चक्षु. भा.१.भ.मि. सं. आहा.साका. | अच. तेज. अ.
अना.
पंचे...
स. -
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