Book Title: Shatkhandagama Pustak 02
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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६७४ ] छक्खंडागमे जौवट्ठाणं
[१, १. सिद्धिया, छ सम्मत्तं, सण्णिणो असण्णिणो, आहारिणो अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा।
तेसिं चेव पजत्ताणं भण्णमाणे अत्थि णव गुणट्ठाणाणि, दो जीवसमासा, छ पजत्तीओ पंच पञ्जत्तीओ, दस पाण णव पाण, चत्तारि सण्णाओ, तिणि गदीओ, पंचिंदियजादी, तसकाओ, दस जोग, इथिवेदो, चत्तारि कसाय, छ णाण, चत्तारि संजम, तिणि दंसण, दव्य-भावेहिं छ लेस्सा, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, छ सम्मत्तं, सण्णिणो असण्णिणो, आहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा ।
इत्थिवेद-अपञ्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि वे गुणट्ठाणाणि, वे जीवसमासा, छ अपज्जत्तीओ पंच अपज्जत्तीओ, सत्त पाण सत्त पाण, चत्तारि सण्णाओ, तिणि गईओ, पंचिंदियजादी, तसकाओ, तिण्णि जोग, इत्थिवेद, चत्तारि कसाय, दो अण्णाण, असंजमो,
संक्षिक, असंक्षिक; आहारक, अनाहारक; साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं ।
उन्हीं स्त्रीवेदी जीवोंके पर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-आदिके नौ गुणस्थान, संक्षी-पर्याप्त और संशी-अपर्याप्त ये दो जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, पांच पर्याप्तियां, दशों प्राण, नौ प्राण, चारों संज्ञाएं, नरकगतिके विना शेष तीन गतियां, पंचेन्द्रियजाति, नसकाय, चारों मनोयोग, चारों वचनयोग, औदारिककाययोग और वैक्रियिककाययोग ये दश योग; स्त्रीवेद, चारों कषाय, मनःपर्यय और केवलज्ञानके विना शेष छह शान, असंयम, देशसंयम, सामायिक और छेदोपस्थापना ये चार संयम, आदिके तीन दर्शन, द्रव्य और भावसे छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिक; छहों सम्यक्त्व, संशिक, असंशिक; आहारक, साकारोपयोगी, और अनाकारोपयोगी होते हैं।
स्त्रीवेदी जीवोंके अपर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-मिथ्यादृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टि ये दो गुणस्थान, संशी-अपर्याप्त और असंझी-अपर्याप्त ये दो जीवसमास, छहों अपर्याप्तियां, पांच अपर्याप्तियां; सात प्राण, सात प्राण; चारों संज्ञाएं, नरकगतिके विना शेष तीन गतियां, पंचेन्द्रियजाति, त्रसकाय, औदारिकमिश्रकाययोग, वैक्रियिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग ये तीन योग; स्त्रीवेद, चारों कषाय, आदिके दो अज्ञान, असंयम, आदिके
नं. २९६ । गु. जी.
स्त्रीवेदी जीवोंके पर्याप्त आलाप. प. प्रा. सं. ग. ई.का. यो. वे. क. झा. | संय.| द. । ले. (म. स. संलि. आ.। उ. |
सं.प. ५ ९ असं.प.
ति.पं. त्र. म. ४ स्त्री.
सं. आहा. साका.
आदिके.
व.४
मन. असं. के.द. मा. ६ भ. केव. देश. विना. विना. सामा.
अना.
औ.१
छेदो.
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