________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ५० ) अंक, नौ की संख्या,-अगुलि:--छोटी (कनिष्ठिका) । अन्दोलनम् [अन्दोल+ ल्युट्] झूलना, घुमाऊ, कंपनशील अंगुली।
------द्राक् चामरान्दोलनात्-उद्भट। मन्ती [अन्त-+इ+डीप्] चूल्हा, अंगीठी।
अन्ध (चु० उभ०) 1. अंधा बनाना, अंधा करना--अंघयन् अम्ते-दे० "अन्ततः" के नीचे ।
भंगमाला: शि० ११११९, 2. अंधा होना।। अन्त्य (वि.) [अन्त+यत्] 1. अन्तिम, चरम (अक्षर या | अन्ध (वि.) [अन्ध् । अच 1. अंघा (शब्द और आलं.
शब्द आदि) अन्त में (समय, क्रम या स्थान की दृष्टि प्रयोग] दृष्टिहीन, देखने में असमर्थ (किसी विशिष्ट से) जैसे कि अक्षरों में 'ह', नक्षत्रों में 'रेवती', अन्त्ये समय पर), अंधा किया हुआ, सजमपि शिरस्यन्धः वयसि-बूढ़ी अवस्था में-रघु० ९।७९, अन्त्यम् ऋणम्- क्षिप्तां धुनोत्यहिशङ्कया-श०७।२४, मदान्धः- नशे में रघु० १५७१ अन्तिम ऋण, मंडनं-८७१, कृ० अंधा, इसी प्रकार दन्धिः , कोधान्धः, 2. अंधा बनाने ४१२२, 2. तुरन्त बाद में, (समा०) 3. निम्नतम, वाला, दृष्टि को रोकने वाला, नितांत पूर्ण अंधकार; अधम, घटिया, नीच, --न्त्यः 1. अधम जाति का मनुष्य, सोदन्नन्धे तमसि - उत्तर० ३।३८-धम् 1. अंधकार 2. शब्द का अंतिम अक्षर 3. अंतिम चांद्र मास अर्थात् 2. जल, पंकिल जल। सम०-कारः अंधेरा (शब्द. फाल्गुन 4. म्लेच्छ,-त्या अधम जाति की स्त्री,-त्यम् और आलं०), काम, मदन,—अन्धकारतामपयाति 1. सौ नील की संख्या (१०००००००००००००००) चक्षुः-का० ३६, धूमिल हो जाती है,-कूपः 1. कुआँ 2. मीन राशि 3. प्रगति का अंतिम अंग। सम० जिसका मुंह ढेंका हुआ होता है, ऐसा कुआँ जिसके --अवसायिन् (पुं०-यी, स्त्री-यिनी) अधम जाति की ऊपर घास उगा हुआ हो 2. एक नरक का नाम, स्त्री या पुरुष, निम्नांकित सात इसी श्रेणी से संबंध रखने -तमसम्,-तामसम्, अन्धातमसम्--गह्न अंधकार, पूरा वाले समझे जाते है,-चांडाल: श्वपचः क्षत्ता सूतो अंधेरा--रघु०१।२४,-तामिस्रः-श्रः (तामित्रम्) वैदेहकस्तथा, मागधायोगवी चैव सप्ततेऽन्त्यावसायिनः । नितांत गहन अंधकार,-धी (वि०) मानसिक रूप से
-आहुतिः, इष्टिः (स्त्री०)-कर्मन,-क्रिया अन्त्येष्टि अंधा,-पूतना राक्षसी जो बच्चों में रोग फैलाने वाली संस्कार की आहुतियाँ या औवंदैहिक संस्कार, मानी जाती है।
-ऋणम तीन ऋणों में अंतिम जिससे कि प्रत्येक | अन्धकरण (वि.) [अन्धक-ल्यट] अंधा करने वाला। व्यक्ति को उऋण होना है अर्थात सन्तानोत्पत्ति करना, |
अग्धंभविष्णु,--भावुक (वि०) [अन्धंभू+इष्णु च्, उका
विष्ण.भाव (वि.) अन्धभ-हष्णच दे० अनृण,-जः,-जन्मन् (पुं०) 1. शूद्र 2. सात नीच |
वा] अंधा होने वाला। जातियों (चांडाल आदि) में से एक;--जन्मन्,- अन्धक (वि.) [अन्ध-कन् ] अंधा,--कः कश्यप और जाति,-जातीय (वि०) 1. नीच जाति में उत्पन्न
दिति का पुत्र जो राक्षस था और शिव के हाथों मारा होने वाला, 2. शुद्र 3. चांडाल –भम् अंतिम चान्द्र
गया था। सम-अरिः,-रिपुः,--शत्रुः,---घाती, नक्षत्र-रेवती,-युगम् अन्तिम अर्थात् कलियुग,-योनि ---असुहृद अंधक को मारने वाला, शिव की उपाधि, (वि०) नीच वंश का मनु० ८।६८,-लोपः शब्द के
--वर्तः पहाड़ का नाम,-वृष्णि (पुं० ब० व०) अंधक अन्तिम अक्षर का लोप करना,-वर्णः,--वर्णा नीच
और वृष्णि के वंशज । जाति का पुरुष या स्त्री, शूद्र, या शूद्रा।
| अन्धस् (न)[ अद्+असुन् नुम् धश्च ] भोजन,-द्विजातिअस्यकः [अन्त्य एवेति स्वार्थे कन्] नीच जाति का पुरुष । शेषेण यदेतदन्धसा--कि० ११३९.।। मन्त्रम् [अन्त्+ष्ट्रन्-अम्+क्त वा] आंत, अंतड़ी-अन्त्र- अन्धिका [अन्ध-+-0वुल इत्वम् टाप् च] 1 रात्रि, 2. एक
भेदनं कियते प्रश्रयश्च-महावीर० ३ । सम० -कुजः, प्रकार का खेल, आंखमिचौनी, जूआ 3. आँख का रोग। -कूजनम्,-विकूजनम्-आंतों में होने वाली गड़- | अन्धुः [अन्ध+कु] कुआँ । गड़ाहट की आवाज,--वृद्धिः (स्त्री०) आंत उतरने अन्ध्राः [अन्ध-र, ब० व.] 1 एकदेश तथा उसके की बीमारी, हरणिया, अंडकोश बढ़ने का रोग, निवासी 2. एक राजवंश का नाम 3. संकर वर्ण का
-शिला विन्ध्य पहाड़ से निकलने वाली एक नदी, पुरुष। -~-अज् (स्त्री०) अंतड़ियों की माला (जिसको नृसिंह ने
अन्नम् [अद्+क्त, अन्+नन् वा ] 1. सामान्यतः भोजन, धारण किया)।
2. अन्नमयकोश 3. भात-नः सूर्य । सम० -अयम् मन्त्रंथमिः (स्त्री०) अजीर्ण, अफारा।
उपयुक्त आहार, सामान्य भोजन -आच्छावनम्, मन्युः-(स्त्री.) [अन्द् + कु पक्षे ऊङ, स्वार्थे कन् च] | ---वस्त्रम् भोजन वस्त्र, -कालः भोजन करने का मन्दु (१)क: 51. श्रृंखला, या हथकड़ी बड़ी, समय, --किट्टः = मल तु०, -कटः भात का
2. हाथी के पैरों को बांधने के लिए जंजीर, 3. बड़ा ढेर, कोष्ठक: 1. डोली, अनाज की कोठी 2. नूपुर।
विष्णु 3. सूर्य, --गंधिः पेचिश दस्तों की बीमारी,
For Private and Personal Use Only