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2. भीतर, अन्दर, भीतरी या मध्यभाग 3. मिश्रित । हुआ, ओझल, 6. अदृष्ट । सम०-उपमा गुप्त जाति या समुदाय ।
उपमा,-मनस्=अंतर्मनस् तु०।। अन्तरि(री)क्षम् [अन्त: स्वर्गपृथिव्योमध्ये ईक्ष्यते-इति- | अन्तर्धा [अन्तर |धा अड] आच्छादन, गोपन,-अन्तर्धा
अन्तर--- ईक्षघञ , पृषो० ह्रस्वः वा] आकाश और मुपययुरुत्पलावलीषु-शि० ८।१२।। पृथ्वी के बीच का मध्यवर्ती प्रदेश, वायु, वातावरण | अन्तर्धानम् [अन्तर्-+-घा-+ ल्युट्] अदृश्य होना, ओझलपना, आकाश । सम०-उदरम् वातावरण का मध्य,--गः, दृष्टि से चूक जाना-व्यसनरसिका रात्रिका पालि- चरः पक्षी, जलम् ओस,-लोकः मध्यवर्ती प्रदेश कीयम् --काव्य० १०; गम् या इ--अदृश्य होना, जो कि एक स्वतंत्र लोक समझा जाता है।
ओझल होना। अन्तरित (वि.) [अन्तः--इ-+क्त 1. बीच में गया हआ, अन्तधिः (स्त्री०) [अन्तर्धा +कि ] ओझल होना,
अन्तवंती, 2. अन्दर गया हुआ, गुप्त, ढका हुआ, पथक | गोपन। किया हुआ, अदृश्य, पादपान्तरित एव विश्वस्तामेनां | अन्तर्भवः (वि०) [अन्तर् भवतीति-भू+अच्] अन्दर की पश्यामि-श०१, लता के पीछे छिपा हुआ, सारसेन । ओर, आन्तरिक। स्वदेहान्तरितो राजा-हि० ३, पर्दे के पीछे छिपा हुआ | अन्तर्भावः [अन्तर्+भू+घञ्]1 अन्तर्भूत या अन्तमिलित 3. अंदर गया हुआ. प्रतिबिंबित स्फटिकभित्त्यन्तरि- होना, अन्तर्गत होना,-तेषां गुणानामोजस्यन्तर्भाव:तान् मृगशावकान् (क) अवरुद्ध, बाधित, रोका गया- काव्य०८, 2. अन्तहित भाव । त्वद्वांच्छान्तरितानि साध्यानि मुद्रा० ४।१५, नोपालभ्यः | अन्तर्भावना [अन्तर+भू-णिच् + ल्युट्] 1. सम्मिलित देवान्तरितपौरुषः-पंच० २।१३, (ख) पृथक्कृत, | करना, 2. अन्तश्चिन्तन या चिन्ता । अदृश्य, रुद्धदृष्टि, महूर्तान्तरितमाधवा दुर्मनायमाना | अन्तर्य (वि.) [अन्तर+यत्] आन्तरिक, बीच में। माल०८, मेघेरन्तरितः प्रिये तव मुखच्छायानकारी अन्तहित (वि.) [अन्तर+धा। क्त] 1. बीच में रक्खा शशी-सा० द० (ग) डबा हुआ, तिरोहित 4. | हुआ, पृथक्कृत, दृष्टिरुद्ध, गुप्त, छिपा हआ–अन्तहिता ओझल, नष्ट, वियुक्त, संहृत-अन्तरिते तस्मिन् शबर- शकुंतला बनराज्या–श० ४, 2. ओझल हुआ, नष्ट, सेनापतौ का० ३३, 5. अतिक्रांत, भूला हुआ।
अदृश्य-अन्तहिते शशिनि-श० ४।२। सम० अन्तरोपः [अन्तर्मध्ये गता आपो यस्य–ब० स०, आत -आत्मन् (पुं०) शिव।।
ईत्वम्] भूमि का टुकड़ा जो समद्र के भीतर चला | अन्ति (अव्य०) [अन्त+इ] पास में (संब० के साथ), गया हो, भूनासिका, द्वीप।
(स्त्री०-तिः) बड़ी बहन (नाटकों में)। अन्तरीयम् [अन्तर+छ] अधोवस्त्र ।।
अन्तिका [अन्त+इ स्वार्थे कन् टापु] 1. बड़ी बहन 2. अन्तरेण (अव्य०) [अन्तर+इण+ण] 1. [कर्म० के साथ चुल्हा, अंगीठी, 3. एक पौधे का नाम (सातलाख्य या
सं० अव्य० के रूप में] (क) सिवाय, के बिना, क्रिया- शातलाख्य औषधि)। न्तरान्त रायमन्तरेण आर्य द्रष्टुमिच्छामि-मुद्रा०३, न | अन्तिक (वि.) [अन्त: सामीप्यमस्यातीति---अन्त+ठन्] राजापराधमन्तरेण प्रजास्वकालमृत्युश्चरति --उत्तर० 1. निकट, समीप (संब० या अपा० के साथ), 2 २, मार्मिकः को मरन्दानामन्तरेण मधुव्रतम्-भामि० पहुंचने वाला, 3. टिकाऊ, तक,---कम् निकटता, १।११७, (ख) के विषय में, संकेत करते हुए, के संबंध सामीप्य, पड़ोस, उपस्थिति, न त्यजन्ति ममान्तिकम्में--अथ भवन्तमन्तरेण कीदशोऽस्या दृष्टिरागः -- श. हि०११४६, न्यस्त-रघु० २।२४ कर्ण-चर-श. २, तदस्या देवी वसुमतीमन्तरेण महदुपालम्भनं गतोऽस्मि श२४, (क्रि.वि.) [संब. और अपा० के साथ अथवा -श० ५, (ग) के बीच में, त्वां मां चान्तरेण
समास के अन्त में निकट, पड़ोस में,-अन्तिक ग्रामात् कमण्डलु:-महा० 2. (क्रि० वि०) (क) के बीच में, ग्रामस्य वा--सिद्धा०, सामीप्य या सन्निधि में, अन्तिके मध्य (ख) हृदय में।
केन-निकट (संब० के साथ) अन्तिकात–निकट, पास अन्तर्गत (वि.)[अन्तः+गम+क्त, णिनिर्वा] 1. बीच से, से (अपा० या संब०) °कादागत,-अंतिके निकट, अन्तर्गामिन् में मध्य में, गया हआ, (बरे शब्द की भांति) -दमयन्त्यास्तदान्तिके निपेतुः नल. १।२२। सम.
बीच में आया हुआ, 2. अन्तःस्थित, अन्तःसम्मिलित, -आश्रयः पास की वस्तु का सहारा लेने वाला, लगातार विद्यमान, संबद्ध 3. गुप्त, आन्तरिक, अन्दर की ओर, सहारा (जैसा कि वृक्ष के द्वारा लता को दिया रहस्य, गढ़,--अन्तर्गतमपास्तं मे रजसोऽपि परं तमः- जाता है)। कु०६।६०, सौमित्रिरन्तर्गतबाष्पकंठ:-रघु० १४१५३ | अन्तिम (वि.) [अन्त+ डिमच्] 1. तुरन्त बाद आनेवाला, नेत्रवक्त्रविकारश्च लक्ष्यतेऽन्तर्गतं मनः—पंच० ११४४, | 2. आखरी, अन्त का, चरम----अजातमतमूर्खाणां बरमा4. स्मृतिपथ से गया हुआ, भूला हुआ, 5. नष्ट हुआ । द्यौ न चान्तिम:-हि० १, सम-अंकः आखरी
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