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॥ रत्नसार ॥
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१७. हिव धर्म ना ४ प्यार प्रकार कह्या छै ते किहा ? ते यथा श्रुत सत्रमो प्रश्न लिखिये छैः - प्रथम तो आचार धर्म १ दया धर्म २ क्रिया धर्म ३ वस्तु धर्म ४. ते मध्ये प्रथम श्राचार धर्म श्रादरतो जीव अनाचारणपणो टलै, वली लौकिक यश प्रतिष्ठा पामै. अन्य तीर्थी पण जैन धर्म नी प्रशंसा करै, जैन नो श्राचारअनुमोदै १. बीजो दया धर्म - ते जेह थी हिंसा नो कर्म टलै, मुक्ति पामै, शुभ पुण्य ऊपर जे परंपराये मुक्त हेतु थाय २. तीजो क्रिया धर्मशुभ क्रिया पोषा प्रतिक्रमणा जिनपूजादिक विधे क्रिया करतो कर्म नो काट उतारै, भव तुच्छ करै, परंपरायै मुक्ति मार्गे जोडावे ३. हिवै चौथो वस्तु धर्म- ते जेह थी वस्तु धर्म पामै, स्वरूपाचरण पूरण समकित पामै, पुण्य पाप कर्म नी निर्जरा नीपजे ४ ए च्यार प्रकार धर्म रथ ना ए च्यार पइड़ा तिरौ करी रथ चाले. ए वस्तु गतै ए ४ धर्म ना भेद कह्या छै तेहना दान शील, तप, भावना, ए प्रकार ते कारण प्ररूपै वै
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