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॥ गाथार्थ ॥ ईसी प्रश्न में 'दुर्गतौ पतत्' इत्यादि श्लोक है उस का अर्थः____ दुर्गति में पडतां प्राणी ने जे धारण करे तेथी धर्म कहिये. ते धर्म संजमादि दश प्रकारनो के केवलीइं का विमुक्ति ने अर्थः
१६६वें प्रश्न में 'आत्मानं भावयतीति' इत्यादि संस्कृत है उस का अर्थः__ अात्मा ने ज्ञानादिके करी भावे ते भावना कहिये. श्रात्मा ने अधिकरीने करे ते अध्यात्म कहिये. माने जगत्त्तल ने वो मुनि कहिये तेहज मुनि कह्यो, मत्य बोलबो तेहज मौन, मौन तेहज मौन सम्यक्त छे. ___ इसी प्रश्न में 'परहित चिंता' इत्यादि आर्या आई है उस का अर्थः
पर ना हित नी चिंता ते मित्री भावना १. परना दुःख नी विनाशकरनारी ते करुणा २. परने सुखी देख तुष्ट थाय ते मुदिता ३. पर ना दोष देख मध्यस्थ रहे ते उपेक्षा भावना ४. ए आर्या नो अर्थ.