Book Title: Ratnasar
Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak
Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak

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Page 329
________________ श्री आत्मधारा । -DSAS RIRE [ १ यह ग्रन्थ आत्मिक गुरंग सत्ता बताने में बहुत उत्तम है. बहिरात्मा, अन्तरात्मा, परमात्मा का स्वरूप, समकित के पांच भूषणादि व दस रूची, बंधन करण, संक्रमण करण, उदय वर्त्तना करण, अप व्रतना करण इत्यादि आाठ करणों की व्याख्यादि उत्तमोत्तम विषयों से यह ग्रन्थ परिपूर्ण है. इसी ग्रन्थ में बनारसीदासजी कृत ज्ञानपच्चीसी, अध्यात्मबत्तीसी, आगमअध्यात्म स्वरूप, निमित्त उपादान कारण भेद निर्णय, ध्यान बत्तीसी इत्यादिक ७ पुस्तक साथ ही छपे हैं. ऐसे उपयोगी ग्रन्थ का मूल्य केवल । - ) मात्र, डाकव्यय, पुर पुस्तक मिलने का ठिकाना:बाबू चांदमल बालचंद चोमुखी पुल रतलाम (मालवा)

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