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॥ गाथार्थ ॥ (१९) - २ १ ३ ३ प्रश्न में 'चतुर्दश महा' इत्यादि श्लोक पाया है उस का अर्थः-- ___ चउद महा स्वपनो ने सुखे सुती तेवि रिते राणी मुख में पेठता देखती हुई, केवा छे सुपना भला आकार ना धरनार एहवा तेहुने देखती हुई.
२१८ वें प्रश्न में 'जणवय संमय' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थः
जन पद सत्य ते देश भाषा १ संमत सत्य ते पांडतो ने बहुते मान्यो २ थापना सत्य ते जिन प्रतिमा ने जिन कहे ३ नाम सत्य ते निईन ने धनपाल ४ रूप सत्य ते स्वरूप ५ प्रतित सत्य ते वस्तु ६ व्यवहार सत्य ७ भाव सत्य ८ जोग सत्य ह ओपमा सत्य १०
२२० वें प्रश्न में 'पुठं सुणेइ' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थः
स्पर्श थयो ते शब्द सुणे, अने वली रूप ते अफरस्यो देखे, गंध रस बद्ध फरस्यो जाणे, फरस पण फरस्यो जाणे एम कहे छे.