Book Title: Ratnasar
Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak
Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak

View full book text
Previous | Next

Page 299
________________ ॥ गाथार्थ ॥ कषाया च्यार १४ राग द्वेष सहित ए चउद प्रकारे अभ्यंतर गांठ परिग्रह मिलने २४ हुवा.२. , . . २८३वे प्रश्न में सामं प्रेमकरं' इत्यादि श्लोक आया है उस का अर्थ:---.. प्रेम करवानो वचन ते साम नामा नीति २ धन आपवो तेथी झगड़ो मिटे ते दान नामा नीति२ पुरुषो ने तरफी करवी ते भेदनामा नीति३ प्राणोने हणका ते दंड नीति४ ए च्यार प्रकार नी राजनीति जाणवी. . २८५वें प्रश्न में 'एकेंदी ' इत्यादि३ गाथा आई हैं उन का अर्थः-- . . एकेंद्री में वायु छे ते ऊई अध तिळ तीनोई लोक में छे अने वली विगलिंद्री जीव तिळ लोक मेज जाणवा. १.. पृथ्वी काय, अपकाय, वनस्पात काय बारे देव लोक अने सात नरक में जाणवी. तथा पृथ्वी काय जावत् सिद्ध शिला अने ते फगत तिरछा लोक मनुष्य क्षेत्र मेंज छे. २.

Loading...

Page Navigation
1 ... 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332